Poetry for village

 दोस्तों आज हम इस पोस्ट मे गाँव पर कविता (Poem on Village) लेकर आये है इन कविताओं से आपको गाँवो की सुंदरता, वहा का रहन सहन के बारे मे पता चलेगा ओर शहर की हकीकत का भी पता चलेगा,
आज हम  गाँव पर कविता लाये है जिसमे हम  गाँव की सुंदरता का कविता के माध्यम से वर्णन करेंगे जो आपको जरूर पसंद आयेगी |

                     मेरा गांव एक घर

मेरे गांव का हालात थोड़ा अजीब है

क्योंकि यहां मौसम थोड़ा गरीब है।

चारो तरफ समंदर जैसे धुवा बिखरे है

फिर भी इनके चेहरे पर झलकती मुस्कान है।

झलकती है फिर भी इनकी आंखो में,

वो दर्द की परछाइयों का छाया।

गुनगुनाता फिर भी की कही हमें मालूम

ना हो जाए और हम भी उदास हो जाए।

बहते है आंसू उनके भी ओसो की तरह

पर हम नादान को क्या मालूम दर्द क्या।

सब कुछ लुटा कर भी वो बसाता है गाव अपना

वो मेरा गाव है जैसे कि एक मां है।

शहर घूमता है काले चस्मा लगाकर वो गाव

ही है जो हर हालत में नजर मिला लेता है।

शहर मे तो छाले पद जाते है ज़िन्दगी के छाव में

जब भी फुर्सत मिले सुकून लेने आ जाना गाव में।

जहा कुदरत की अपनी ही एक छाव है

जिसे अपना कह सकु वो अपना गाव है।

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