Bashir Badr ki Shayari – डॉ. बशीर बद्र का जन्म 15 फरवरी 1935 को अयोध्या में हुआ। इन्हें उर्दू का वह शायर माना जाता है जिन्होंने कामयाबी की बुलंदियों को हासिल कर बहुत लंबी दूरी तक लोगों के दिलों की धड़कनों को अपनी शायरी में उतारा है। आपको इस पोस्ट में इनके बेस्ट चुनिंदा शायरी पढ़ने को मिलेंगे जिसे आप अपने facebook,और instgram पे अपने प्यारे दस्ते को शेयर कर सकेंगे।
बशीर बद्र की दर्द भरी शायरी
फिर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँ
दुनिया को यूँ मिटाएगी इक्कीसवीं सदी।
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में।
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है!
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है।
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे।
Bashir Badr Shayari in Hindi
रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे कोई चुटकी ले नर्म-नर्म गालों में.
हँसो आज इतना कि इस शोर में
सदा सिसकियों की सुनाई न दे।
मंदिर गए मस्जिद गए पीरों फ़क़ीरों से मिले
एक उस को पाने के लिए क्या-क्या किया क्या-क्या हुआ!
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है।
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत।
मुख़ालिफ़त से मेरी शख़्सियत सँवरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूं!
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा।
वो शख़्स जिस को दिल ओ जाँ से बढ़ के चाहा था
बिछड़ गया तो ब-ज़ाहिर कोई मलाल नहीं!
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए।
यारों नए मौसम ने ये एहसान किए हैं
अब याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते..
अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो
इजाज़त हो तो मैं इक झूट बोलूँ
मुझे दुनिया से नफ़रत हो गई है।
इसलिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं
तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं!
हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए
चराग़ों की तरह आंखें जलें जब शाम हो जाए।
मैं ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूं
कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाए!
zindagi Bashir badr shayari
समन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
हवाएं तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए!
मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहां होगा
परिंदा आसमां छूने में जब नाकाम हो जाए!
तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे बच्चों सी बातें करते है।
परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता!
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में!
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ कोई बेवफा नहीं होता!
वो चेहरा चाँद है आँखें सितारे ज़मी फूलों की जनत हो गई है।
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी!
मोहब्बत एक खुशबू है हमेशा साथ चलती है कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता!
कई अजनबी तेरी राह में मेरे पास से यूँ गुज़र गए जिन्हें देख कर ये तड़प हुई तेरा नाम ले के पुकार लूँ!
न जी भर के देखा न बात की।। बड़ी आरजू थी मुलाकात की ।।
एक दिन तुझ से मिलने ज़रूर आऊंगा ज़िन्दगी मुझ को तेरा पता चाहिए.
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए।
बशीर बद्र रोमांटिक शायरी
इस शहर के बादल तिरी जुल्फ़ों की तरह हैं
ये आग लगाते हैं बुझाने नहीं आते।
कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँ ही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता।
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा।
तुझे भूल जाने की कोशिशें कभी कामयाब न हो सकी
तिरी याद शाख-ए-गुलाब है जो हवा चली तो लचक गई।
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है।
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा।
खुदा हमको ऐसी खुदाई न दे कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे..
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