गाँव पर शेरो शायरी स्टेटस फोटो Shayari On Village Status Quotes In Hindi: हेलो नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में गाँव पर शायरी स्टेटस कोट्स इमेज आदि दिए हुए है. अगर आप कभी गाँव में रहे होंगे तो आपको यह पोस्ट जरूर पसंद आयेगा.
गाँव किसे नहीं लुभाते, भारतीय ग्रामीण जीवन की मनोरम झलक हर कोई पाना चाहता हैं मगर ये नसीब की बात हैं जो लोग गाँव छोड़कर शहर में आकर बस गये हैं उन्हें गाँव का महत्व तभी पता चलता हैं जब वे धक्के मार जीवन से व्याकुल होकर अपने अतीत के जीवन में झांकते हैं. मगर गाँव की ताजी हवा, शांति और सहर के प्रदुषण से दूर, लोगों का आपसी प्रेम, पुराने संस्कार, अगर आप गाँव में रहे होंगे तो आपको ये सब बताने की जरुरत नहीं गाँव में साफ़ और सादगी का जीवन बड़ा ही प्यारा होता है।
गाँव पर शायरी स्टेटस shayari on village
गाँव की माँए आज भी कच्चे रस्तो पर चलती है,
क्योकि ये पक्की सड़के उनके बेटो को शहर लेती गई।
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धागे तुम्हारे नाम के बरग़द पे ही रह गए ।
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ये दौड़ता हुआ शहर है जनाब,
चलना हो तो आओ मेरे गांव कभी।
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वो एक गाँव सी है।
शांत, स्वच्छ और मासूम।
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सुना है .. खरीद लिया उसने करोड़ों का घर शहर में ..
मगर आंगन दिखाने आज भी वो बच्चो को गांव लाता है …?
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एक कुआ पुराना सा..
जिसको बने बीत गया जमाना सा..
वही चकरी वही घीरणी वही ऊँचा घेराव हैं।
साहब मेरा गाँव आज भी गाँव हैं।
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किस आज़ादी में क़ैद है ये शहर,
के फ़िर गाँव हो जाने को तरस गये है।
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शहर में छाले पड़ जाते है जिन्दगी के पाँव में,
सुकून का जीवन बिताना है तो आ जाओ गाँव में।
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गाँव में बड़े होने पर भी बच्चों को माँ-बाप डांटते है,
ऐसा लगता है जैसे अपनापन और खुशियाँ बांटते है।
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गाँव में दिखती नही तरक्की की निशानी,
पर यहाँ की सुबह होती है बड़ी ही सुहानी।
गाँव के बच्चे बारिश में भीगकर खुश हो जाते है,
शहर के बच्चे बारिश में भीगकर बीमार हो जाते है।
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शहर के बच्चे किताब के पेड़ में
पड़े झूले को देख सकते है,
मगर गाँव के बच्चे उस झूले में झूल कर
एक अनमोल ख़ुशी महसूस कर सकते है।
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कितना भी बड़ा जख्म या घाव हो,
अकेलापन महसूस नही होता अगर गाँव हो।
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गाँव में, पैसे से जेब हल्की और दिल के बड़े होते है,
गैरों के मुसीबत में भी अपनों की तरह खड़े होते है।
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जहाँ सीधे-सादे लोगो का है डेरा,
माना शहर में तुम्हारा वो तरक्की वाला मकान है,
मगर गाँव में गरीबों के जीवन में भी सुकून और शान है।
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जो गाँव का मजा शहर में ढूंढते है,
वो जीने का मजा जहर में ढूंढते है।
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गाँव के अनपढ़ बेरोजगारों को नौकरी देता है शहर,
कमियों के बावजूद गाँव पर उसका बड़ा एहसान है।
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गाँव में जो लोग ज्यादा भाव खाते है,
लोग उनसे पैसा खूब खर्च करवाते है।
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गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
शहर में तरक्की कितनी भी करो लो
पर गाँव अपनों से मिलने आया करो.
Gaon wali shayari
गाँव नाप आते थे पूरा नंगे पाँव,
पैर जलने लगे जबसे डिग्री सेल्सियस समझ आया।
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गांव में आये सुकून की तलाश में ..
वहाँ भी पीछे पीछे शहर आ गए?
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ये वही गांव है जिस पर आरोप था ,
अगर यहाँ रहेंगे तो भूखे मर जाएंगे ..
बनना है तो गाँव सा बचपन बनो,
शहर सी जवानी बस बचपन की याद दिलाती है.
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जब जलाती है ये धूप, बरगद का छाँव याद आता है,
और
जब आसरा छीन लेता है ये शहर, तब मेरा गांव याद आता है।
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शहर और गांव में भिन्नता। शहर में साधु को भिखारी समझा
जाता है, और गांव में भाखरी को भी साधु समझते हैं।
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बदला है मिज़ाज़ जब से तेरे दिल के शहर का,
मेरे गांव की नसों में फ़ैल गया है ये “किस्सा” ज़हर सा..???
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वो दादा जी की कहानियां फिर सुना जाती हैं…
जब जब गाँव से मीठी मठ्ठी शहरों में लायी जाती हैं।।
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किस आज़ादी में क़ैद है ये शहर,
के फ़िर गाँव हो जाने को तरस गये है।
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बहुत गुमान था उनको शहरों की इमारतों पर,??
ऐसा भी क्या हुआ कि गांव याद आ गया!!??
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वो सहर से नजदीक है पर दूरियां बहोत है,
गाँव के लोग खुश है मगर मजबूरियां बहोत है।
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मतलबी लोगो और तेरे आराम से अच्छा है
थोड़ी तकलीफ सही पर अपना गाँव,
सहर से अच्छा है।
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घर ना जाऊं किसी के तो लोग रूठ जाते है
अपने पन की तहजीब गाँव में आज भी बाकि है ।
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हर मुश्किलें आसान हो जाती है.
वर्षों के तजुर्बे आज भी बुजुर्गों से लिए जाते है।
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तबाह कर गई पक्के मकान की ख़्वाहिश
मैं अपने गाँव के कच्चे मकान से भी गया
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तुम्हारे शहर में मय्यत को सब कांधा नहीं देते
हमारे गाँव में छप्पर भी सब मिल कर उठाते हैं
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तुम्हारे शहर में तस्वीरें बोलती होंगी
हमारे गाँव में पत्थर कलाम करते हैं
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गांव की सुंदरता पर शायरी
मैं गाँव लौट रहा हूँ बहुत दिनों के बाद
ख़ुदा करे कि उसे मेरा इंतिज़ार न हो
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बस इस लिए ही गाँव से मैं शहर आ बसा
मैं क्या करूँगा रह के वहाँ आप के बिना
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गाँव से गुज़रेगा और मिट्टी के घर ले जाएगा
एक दिन दरिया सभी दीवार ओ दर ले जाएगा
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मैं सोचता था कि लौटूँगा अजनबी की तरह
ये मेरा गाँव तो पहचानता लगे है मुझे
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की निम का पेड़ था
बारिश थी और झूला था
गाँव में गुजरा हुआ मेरा बचपन
भी का बचपन था
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ख़ुशी के माहौल में
मौत आ रही हे
और जो कहते थे की गाँव में क्या रखा हे
उनको भी आज गाँव की याद आ रही हे।
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पैसो को देखकर रंग
फिसलता नहीं हे
गाँव का इश्क हे साहब
हर रोज बदलता नहीं हे
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बिना बुलाये आ जाते थे
गांव में रोज मिलने
ये परिंदे शहर के
मसरूफ बड़े हे
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क्या जमाना था जब एक खत
पूरा गांव पढ़ता था आज
हर एक मोबाईल लेकर ‘
मतलबी हो गया हे
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शहर के साहब कभी गाँव घूम के आना,
गाँव तुझे अपना ना लगे तो बताना…!!
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की गाँव से तो बेकार
मत समझना
सुन्दर तो नहीं पर
दिल का बेकार न समझना
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