Jaun Elia Shayari |150+जॉन एलिया शायरी इन हिंदी

Jaun Elia Shayari: ““ज़िंदगी किस तरह बसर होगी दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में…” इस शेर के जरिए अपनी बात को बेबाकी से कहने वाले जौन एलिया उर्दू अदब के एक मशहूर शायर थे। उनकी शायरी में दर्द, प्रेम, विद्रोह और उदासी की गहराई दिखाई देती है, जो उन्हें अन्य शायरों से अलग बनाती है। जौन एलिया का जन्म 14 दिसंबर, 1931 को भारत के उत्तर प्रदेश के अमरोहा में जन्मे जौन एलिया पाकिस्तानी मूल के एक प्रसिद्ध कवि, लेखक थे। अपनी भारतीय जड़ों के बावजूद, एलिया 1947 में विभाजन के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। इनका मूल नाम सय्यद हुसैन जौन असग़र नक़वी था। लेकिन शायरी के लिए उन्होंने ‘जौन एलिया’ नाम चुना था। जो आपका परिचय उर्दू साहित्य से करवाएंगी। ये शायरियां सही मायनों में इश्क़, फ़िक्र और फ़लसफ़े की बुलंद आवाज़ बनने का काम करती हैं! इससे आप अपने दोस्तों के पास जरूर शेयर करे!


Jaun Elia Shayari Hindi


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“ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में…”


“सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं…”


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“किस लिए देखती हो आईना
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो…”


“मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या…”


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“इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने…”


“क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या…”


“यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे…”


“अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या…”


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“कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे…”


“बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है…”


“मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं…”


Jaun Elia Shayari Urdu


“जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है…”


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“ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या…”


“क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है…”


“हम को यारों ने याद भी न रखा
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो…”


“और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं…”


“मेरी हर बात बे-असर ही रही
नक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या…”


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“नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम…”


“याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं…”


“अब नहीं कोई बात ख़तरे की
अब सभी को सभी से ख़तरा है…”


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“कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया…”


“उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं…”


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“दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते…”


“अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं…”


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“सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है…”


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“मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को…”


“ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का…”


“मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद से
याद मैं ख़ुद को उम्र भर आया…”


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“यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या…”


“क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं…”


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“बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या…”


“कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है…”


“मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से…”


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“तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो…”


“ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से
बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ…”


“अब तो हर बात याद रहती है
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया…”


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“नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी
तो फिर दुनिया की परवाह क्यूँ करें हम…”


Jaun Elia Shayari In Hindi


“एक ही तो हवस रही है हमें
अपनी हालत तबाह की जाए…”


“इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है…”


“जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा


“जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा
याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए…”


अब मैं सारे जहाँ में हूँ बदनाम,
अब भी तुम मुझको जानती हो क्या..!!


ज़िन्दगी किस तरह बसर होगी,


ज़िन्दगी किस तरह बसर होगी,
दिल नहीं लग रहा मुहब्बत में।


मुझसे कहती थीं वो शराब आँखें
आप वो ज़हर मत पिया कीजे….


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मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या


शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी,
नाज़ से काम क्यों नहीं लेतीं,
आप, वो, जी, मगर, ये सब क्या है,
तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेतीं।


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ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम


उस गली ने ये सुन के सब्र किया,
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं।


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सोचूँ तो सारी उम्र मोहब्बत में कट गई,
देखूँ तो एक शख़्स भी मेरा नहीं हुआ..!


मुद्दतों बाद इक शख़्स से मिलने के लिए,
आइना देखा गया, बाल सँवारे गए..!!


मैं तो बस एक नाम था और मुझे हवाओं में,


मैं तो बस एक नाम था और मुझे हवाओं में,
धूल पे लिख दिया गया और उड़ा दिया गया।


गवाई किस तमन्ना में ज़िन्दगी मैंने,
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैंने,
तेरा ख़याल तो है, पर तेरा वजूद नहीं,
तेरे लिए ये महफ़िल सजाई मैंने।


Jaun Elia Sad Shayari 


आंगन से वो जो पिछले दालान तक बसे थे
जाने वो मेरे साए अब किस खन्डर में होंगे


मुझ को आदत है रूठ जाने की


मुझ को आदत है रूठ जाने की
आप मुझ को मना लिया कीजे !


बात ये है कि लोग बदल गए हैं
ज़ुल्म ये है कि वो मानते भी नहीं


जो ज़िंदगी बची है उसे मत गंवाइये


जो ज़िंदगी बची है उसे मत गंवाइये
बेहतर ये है कि आप मुझे भूल जाइए …!!!


हो रहा हूँ मैं किस तरह बरबाद
देखने वाले हाथ मलते हैं


है वो जान अब हर एक महफ़िल की
हम भी अब घर से कम निकलते हैं


क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं


उस के होंटों पे रख के होंट अपने
बात ही हम तमाम कर रहे हैं


अब जो रिश्तों में बँधा हूँ तो खुला है मुझ पर,
कब परिंद उड़ नहीं पाते हैं परों के होते


हम वो हैं जो खुदा को भूल गए
तुम मेरी जान किस गुमान में हो


देख लो मैं क्या कमाल कर गया हूं
जिंदा भी हूं और इंतकाल कर गया हूं


न करो बहस हार जाओगी,
हुस्न इतनी बड़ी दलील नहीं..!!


ऐलान उसका देखिए कि मजे में है
या तो कोई फ़कीर है या फ़िर नशे में है


तुम पे मरने से कहीं बेहतर था
हम किसी हादसे में मर जाते


कौन कहता है उमर भर निबाह कीजिए
बस आइये, बैठिए, फ़ना कीजिये , तबाह कीजिए


क्या कहें कितनी ही बातें थीं जो अब याद नहीं
क्या करें हम से बड़ी भूल हुई , भूल गए !


मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं


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