Dard E Dil Shayari
दिल के छालों को हथेली पे सजा लाया हूं,
गौर से देख मेरी जान मैं क्या लाया हूं।
मैने एक शहर हमेशा के लिए छोड़ दिया,
लेकिन उस शहर को आंखों में बसा लाया हूं।
हद से आगे बढ़ गई चाहत मेरी
पहचान लेता हूं कदमों की चाहत तेरी
हो इज्जाजात तो सुकून जहन में उतारू
तेरे होंठो पे रखी है राहत मेरी।
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख्याल भी ,
दिलो को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी.
सबसे नज़र बचा के वो मुझको कुछ ऐसे देखता ,
एक दफा तो रुक गई गर्दिशे माहो साल भी।
पैकर – ए -अक्ल तेरे होश ठिकाने लग जाए
तेरे पीछे जो हम जिसे दीवाने लग जाए
सब के जैसा न बना जुल्फ की हम सदा -निगाह
तेरे धोके में किसी और के शाने लग जाए।
प्यास के जिक्र को रखता हूँ जुदा पानी से
देखते रहते है दरिया मुझे हैरानी से
और उनकी खातिर मैं परेशान रहा करता हूँ
जिनको मतलब ही नहीं मेरी परेशानी से।
अंधे ख्वाबों को उसूलों का तराजू दे दे
मेरे मालिक मुझे जज़्बात पे काबू दे दे
मै समंदर भी किसी गैर के हाथो से न लूं
एक कतरा भी समंदर है अगर तू दे दे।
झूट कहते है कि आवाज लगा सकता है
डूबने वाला फकत हाथ हिला सकता है।
और फिर छोड़ गया वो जो कहा करता था
कौन बदबखत तुझे छोड़ के जा सकता है।
घर से निकले थे हौसला कर के
लौट आए खुदा खुदा कर के।
ज़िन्दगी तो कभी नहीं आई
मौत आई जरा जरा करके।
भला भीड़ के छतो से किस तरह
तुझे शहद मिलता वफाओं का ।
तुझे मोतियों की तलाश थी
किसी कोयले की दुकान से।
इश्क़ के किस्से ना छेड़ो दोस्तो
मैं इसी मैदान में हरा था कभी।
कौन कह सकता है उसको देखकर
ये वही है जो हमारा था कभी।
बात करते है तो करते है दिल अजारी
अरे कोई तो होगी दावा आपकी बीमारी की।
सारी दुनिया ये रखी हाथ में रह जाएगी
कोई कीमत तो लगाए मेरी खुदरी का।
मरती हुई जमीं को बचाना पड़ा मुझे
बादल की तरह दश्त में आना पड़ा मुझे।
वो कर नहीं रहा था मेरी बात का यकीन
फिर यूं हुआ कि मर के दिखाना पड़ा मुझे।
होने थे जितने खेल मुकद्दर के हो गए,
हम टूटी नाव समंदर के हो गए।
खुशबू हमारे हाथ को छू के गुजर गई,
हम फूल सबको बांट के पत्थर के हो गए।
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इस पार में हूं झील के उस पार आप हो,
लहरों के आईने में लगातार आप है।
और काश वो ये पूछे तुम्हे क्या पसंद है,
बेसाख्ता मैं कह पड़ूं सरकार आप है।
उन्ही लोगो से हंगामे बहुत है,
वो जिनकेहाथो में पैसे बहुत है.
जो अपनी खुशलिबाशी पर है नाज
हकीकत में वही नंगे बहुत है।
उधर मुंह फेर कर क्या जीबाह करते हो, इधर देखो
मेरी गर्दन पे खंजर की रवानी देखती जाओ।
सुने जाते ना थे तुमसे मेरी दिन –रात के शिकवे
कफन सरकावो मेरी जुबानी देखती जाओ।
कह दो उसे की प्यार जो करना है गर तुम्हे,
उल्फत के साथ थोड़ा समझदार भी रहे।
लाज़िम नही है दोस्त की जिसपे मन हो,
वो शक्स सारी उम्र वफादार ही रहे।
मुझे यकीन है ये जहमत नहीं करेगा कोई
बिना गरज के मोहब्बत नही करेगा कोई
ना खानदान में पहले किसी ने इश्क किया
हमारे बाद भी हिम्मत नही करेगा कोई।
ख्वाब की तरह हकीकत में बुना जाए मुझे,
कोई।मुश्किल की घड़ी हो तो चुना जाए मुझे।
सिर्फ आवाज ही पहचान नहीं है मेरी,
मेरी आवाज से आगे भी सुना जाए मुझे।
हाथो की लकीरों में मुकद्दर नही होता,
हर शक्श मुकद्दर का सिकंदर नही होता।
और देखा है बिछड़कर के बिछड़ने का असर भी
मुझ पर तो बहुत होता है उसपर तो नही होता।
कभी ना भूलिए किसके सबब से जाने गए
सजर गया तो समझिये आशियाने गए
जिस एक पल के लिए हिज्र से बना के रखी
वो एक पल नही आया कई जमाने गए।
लस्कर भी तुम्हारा है सरदार भी तुम्हारा है
तुम झूठ को सच लिख दो अखबार भी तुम्हारा है।
इस दौर के फरियादी जाए तो कहा जाए,
कानून भी तुम्हारा है दरबार भी तुम्हारा है।
मैं लिपट के खुद से कहूं कह रहा मैं उदास हूं,
किसी और से तो नही कहा मैं उदास हूं।
वो जो धड़कनों के मिजाज तक से था आशना
उसे क्यों नही नजर आ रहा मैं उदास हूं।
मैं उदास हूं ,मैन उदास हूं मेरी बात सुन,
उसे जाकर सिर्फ यही बता मैं उदास हूं।
यकीन हो के ना हो बात तो यकीन की है,
हमारे जिस्म की मिट्टी इसी जमीन की है।
मेरे वतन के लोग सभी भाई भाई है,
ये दुरियो की सियासत किसी कमीन की है।
और आसान हुंवा जान से जाना मेरा,
मेरे रहते नही आयेगा जमाना मेरा ।
उसने पूछा तो मेरे बारे में कुछ मत कहना ,
और न पूछे तो उसे हाल सुनाना मेरा।
मेरी नींद का उजाला मुझे वापस दे दो,
कल जो टूटा है मेरा सपना वो मुझे वापस दे दो।
तुमसे पाई हुई इज्जत तुम्हे लौटा दूंगा,
मेरा छीना हुई रुतबा मुझे वापस दे दो।
अगर मैं जिंदा रहूं तो जुदा ना होना पड़े,
तुम्हारे बाद किसी और का ना होना पड़े।
वो सोचता है मेरा इम्तहान कैसे ले,
मैं सोचता हूं मुझे बेवफा ना होना पड़े।
उसको मेरी तरप का गुमान तक नहीं हुआ
मैं इस तरह जला की धुवा तक नहीं हुआ।
तुमने तो अपने दर्द का किस्से तो बना लिए
हमसे हमरा दर्द बयां तक नहीं हुआ।
शाम की आखिरी परवाज से आए सकती हो
तुम मेरे शहर से होकर भी तो जा सकता हो
और मैंने जिस जिस को भी चाहा है बहुत चाहा है
तुम किसी एक से तस्दीक करा सकती हो।
दिल को सँभालने के बहाने बहुत हुंवे
तेरे गमो के आड़ में नशे बहुत हुवे
तुमने तो हमको छोड़ दिया और उसके बाद
लावरसी जमीं पे कब्जे बहुत हुए।
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शीद धुप थी हर -सु कही शजर नहीं था
इसलिए तो मेरा कोई हमसफ़र नहीं था
अब इसलिए भी तेरे सर में दर्द रहता है
मैं तेरा था तो सही तेरा दर्द – ए –सर नहीं था।
धोखे वफ़ा की राह में खाये हम जरूर
लेकिन किसी के साथ में धोखा नहीं किया
हमने गुजर दी है फकीरी में ज़िन्दगी
लेकिन कभी जमीर का सौदा नहीं किया।
तुम्हारा हमसे बिछड़ना तो एक बहाना था
मोहब्बतों में यह नुकसान तो उठाना था
तुम्हे तो कोई भी दिल में पनाह दे देता
हमारे वास्ते तो एक ही ठिकाना था।
लबो रुखसार तो क्या चश्मे सियाह भी उसकी
अब तो मैं भूल गया साल गिरह भी उसकी
उसने जो जखम लगाए थे भरे जाने लगे
और फिर भरने लगी खाली जगह भी उसकी।
अच्छा ख्वाब दिखाया तुमने ख्वाब दिखने वालो में
ऐसी बात कहाँ होती थी इससे पहले वालो में
दरवाजे पे ताला हो तो फिर भी दस्तक दे देना
नाम तो शामिल हो जयेगा दस्तक देने वालो में।
फ़राजे इश्क़ तेरी इन्तेहाँ नहीं हुए हम
किसी पे क़र्ज़ थे लेकिन अदा नहीं हुवे हम
तुम्हारे बाद बड़ा फक्र आ गया हम में
तुम्हरे बाद किसी पर खफा नहीं हुए हम।
ये दुनिया है यहाँ पर ये तमाशा हो भी सकता है
अभी जो गम हमारा है तुम्हारा हो भी सकता है
तुम अपने आपको हरगिज कोई इलज़ाम मत देना
ये सौदा है मोहब्ब्बत का खसरा हो भी सकता है।
चरागों के सफर में दबदबा हो अँधियो का
तो फिर अंजाम जुलमत के सिवाए कुछ भी नहीं हैं
ये दुनिया नफरतो की आखिरी हद पर है
इलाज इसका मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं हैं।
बरसेगा टूट टूट कर अब्र – ए – मोहब्बाता
हम चीखते रहेंगे की हजात नहीं रही
इक रोज कोई आएगा लेकर के फुरसत
इक रोज हम कहेंगे जरुरत नहीं रही।
की तू अल्फाजो की तरह मुझसे किताबो में मिला कर
लोगो का तुझे डर है तो ख्वाबो में मिला कर
फूल को खुशबु से ताल्लुक है जरुरी
तू महक बनके मुझसे गुलाबो में मिला कर
और जिसे छूकर मैं महसूस कर सकूँ जाना
तू मस्ती की तरह मुझसे सहराबो में मिला कर।
अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है
एक नज़र मेरी तरफ भी तेरा जाता क्या है
तू मेरा कुछा नहीं लगता इतना तो बता
देख के मुझको तेरे जहन में आता क्या है।
हमने सहना सिख लिया हैं
कुछ न कहना सिख लिया है
बोलेंगे तो बात बढ़ेगी
चुप ही रहना सिख लिया है