Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को एक महान सलाहकार, रणनीतिकार, दार्शनिक माना जाता था और साथ ही वेदों व पुराणों का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त था।
चाणक्य एक शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनेता भी थे जिन्होंने भारतीय राजनीतिक ग्रंथ, ‘अर्थशास्त्र’ की भी रचना किये है। उन्होंने मौर्य वंश की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
एक गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्मे, चाणक्य की शिक्षा तक्षशिला में हुई, जो भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित शिक्षा का एक प्राचीन केंद्र हुआ करता था अब यह वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है। वह अर्थशास्त्र, राजनीति, युद्ध रणनीतियों, चिकित्सा और ज्योतिष जैसे विभिन्न विषयों में गहन ज्ञान रखने वाले एक उच्च शिक्षित व्यक्ति थे। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपनी आजीविका शुरू की और बाद में सम्राट चंद्रगुप्त के भरोसेमंद सहयोगी बन गए| इसी ज्ञान के आधार पर उन्होंने मनुष्य के जीवन से जुड़ी बहुत व्यावहाारिक बातें बताई हैं। जो हमरे जीवन में बहुत ही मार्गदर्शन का काम करता है
Chankya niti | चाणक्य निति
1 “जब तक दुश्मन की कमजोरी का पता न चल जाए,
तब तक उसे मित्रतापूर्ण शर्तों पर रखा जाना चाहिए।”
-चाणक्य
2. किसी भी व्यक्ति की वर्तमान स्थिति को देखकर
उसका मजाक न उड़ाओ,
क्योकि कल में इतनी शक्ति होती हैं कि
वह एक मामूली कोयले के टुकड़े को भी हीरे में तब्दील देता हैं
-चाणक्य
3. काँटों से और दुष्ट लोगो से बचने के दो उपाय हैं,
पैरो में जूते पहनो और उन्हें इतना शर्मसार करो की,
वो अपना सर उठा न सके और आपसे दूर रहे।
–चाणक्य
4. जो अस्वच्छ कपडे पहनता हो।
जिसके दांत साफ़ नहीं हैं।
जो बहुत खाता हो।
जो कठोर बोलता हो।
जो सूर्योदय के बाद उठता हो।……
उसका कितना भी बड़ा व्यक्तित्य क्यों न हो,
वह लक्ष्मी की कृपा से वंचित रह जायेगा।
–चाणक्य
5. जब तक तुम दौड़ने का साहस नहीं जटा पाओगे,
तुम्हारे लिए प्रतिस्पर्धा में जीतना सदैव असंभव बना रहेगा।
–चाणक्य
6. एक व्यक्ति को चारो वेदो और सभी धर्म शास्त्रों का ज्ञान हो।
लेकिन उसे यदि आत्मज्ञान की अनुभूति नहीं हुई
तो वह उसी चमचे के समान हैं,
जिसने अनेक पकवानो को हिलाया,
लेकिन किसी का स्वाद नहीं चखा।
-चाणक्य
7. जो बीत गया, सो बीत गया।
अपने हाथ से कोई गलत काम हो गया हो,
तो उसकी चिंता छोड़ते हुए अपने वर्तमान को
सही तरीके से जी कर भविष्य को सवारना चाहिए।
–चाणक्य
8. अगर सांप जहरीला नहीं हैं,
तो भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए।
उसी प्रकार कमजोर व्यक्ति को भी हर वक्त
अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।
-चाणक्य
9. भाग्य उनका साथ देता हैं,
जो हर संकट का सामना करके भी
अपने लक्ष्य के प्रति ढृढ़ रहते हैं।
-चाणक्य
10. “किस्मत के सहारे चलना
अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।
ऐसे लोगों को बर्बाद होने में वक्त नहीं लगता।”
-चाणक्य
11. “चन्द्रमा एक होकर भी उस
अन्धकार को दूर कर देता है,
-चाणक्य
12. “शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है।
शिक्षित व्यक्ति का हर जगह सम्मान होता है।
शिक्षा सुंदरता और यौवन को हरा देती है।”
-चाणक्य
13. “मोह के समान शत्रु और क्रोध के समान अग्नि नहीं है।”
– चाणक्य
14. “एक व्यक्ति या एक शासक को हमेशा ,
उसके परिणामों पर पूरी तरह से विचार करने के बाद,
एक कार्य करना चाहिए।
अन्यथा भाग्य भी उसके धन की रक्षा नहीं कर सकता।”
-चाणक्य
15. “समृद्धि उसी के लिए लंबे समय तक रहती है
जो उचित विचार के बाद कार्य करता है।”
-चाणक्य
16. जब मेहनत करने के बाद भी सपने पूरे नहीं होते,
दो रास्ते बदलिए सिद्धांत नहीं,
क्योंकि पेड़ भी हमेशा पत्ते बदलता है जड़ नहीं,
गीता में साफ शब्दों ने लिखा है,
निराश मत होना कमजोर तेरा वक्त है,
तू नहीं।
-चाणक्य
17. यदि हर सुबह नींद खुलते ही
किसी लक्ष्य को लेकर आप उत्साहित नहीं है,
तो आप जी नहीं रहे है, सिर्फ जीवन काट रहे है।“
-चाणक्य
18. “दुश्मन कमजोर बिंदुओं पर हमला करते हैं।”
-चाणक्य
19. “सीमा-पार संबंधों में, कोई स्थायी मित्र या स्थायी शत्रु या
यहाँ तक कि स्थायी सीमाएँ नहीं होती हैं।
केवल स्थायी हित होते हैं और इन हितों की
रक्षा के लिए सब कुछ किया जाना चाहिए।”
—चाणक्य
20. “यदि एक राजा ऊर्जावान है,
तो उसकी प्रजा भी उतनी ही ऊर्जावान होगी।”
–चाणक्य
21. “यह संसार एक कड़वा वृक्ष है,
इसके दो ही मीठे अमृत-समान फल हैं –
एक मधुर वाणी और दूसरा सज्जनों की संगति।”
-चाणक्य
22.“जो कुछ करने का विचार किया है उसे प्रकट न करो,
परन्तु बुद्धिमानी से उसे गुप्त रखो,
और उसे क्रियान्वित करने का निश्चय करो।”
–चाणक्य
23.“उससे बचो जो तुम्हारे सामने मीठी बातें करता है,
लेकिन तुम्हारे पीठ पीछे तुम्हें बर्बाद करने की कोशिश करता है,
क्योंकि वह जहर के घड़े के समान है जिसके ऊपर दूध होता है।”
-चाणक्य
24: तुलसी को कभी वृक्ष न समझे,
गाय को कभी पशु न समझे,
और माता पिता को कभी मनुष्य न समझे ,
क्योंकि ये तीनों तो साक्षात भगवान का रूप है।
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25.“जो ज्ञान की खोज में है उसे सुख की खोज छोड़ देनी चाहिए
और जो आनंद की खोज में है उसे ज्ञान की खोज छोड़ देनी चाहिए।”
-चाणक्य
26.“वह जो अपने परिवार के सदस्यों से अत्यधिक जुड़ा हुआ है,
भय और दुःख का अनुभव करता है,
क्योंकि सभी दुःखों की जड़ आसक्ति है।
इस प्रकार प्रसन्न रहने के लिए आसक्ति का त्याग करना चाहिए।”
–चाणक्य
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27.“ज्ञान को व्यवहार में लाए बिना खो जाता है।
अज्ञानता के कारण मनुष्य खो जाता है।
एक सेनापति के बिना एक सेना खो जाती है
और एक स्त्री पति के बिना खो जाती है।”
-चाणक्य
28.“वह किसी का तिरस्कार नहीं करेगा,
परन्तु सबकी राय सुनेगा।
एक बुद्धिमान व्यक्ति एक बच्चे की
समझदार वाणी का भी उपयोग करेगा।”
–चाणक्य
29.”प्राणों की हानि क्षण भर का दु:ख देती है,
परन्तु अपमान जीवन में प्रतिदिन दु:ख लाता है।”
-चाणक्य
30. “गरीबी, रोग, शोक, कारावास और
अन्य बुराइयाँ स्वयं के पापों के वृक्ष के फल हैं।”
-चाणक्य
31. “शक्ति नहीं होते हुए भी मन से नहीं हारता,
उसको दुनिया की कोई सी भी ताकत नहीं हरा सकती।
–चाणक्य
32: नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता है,
इतिहास गवाह है कि आज तक कभी नमक में कीड़े नहीं पडे।
33. “सबसे बड़ा गुरु-मंत्र है:
कभी भी अपने राज़ किसी से साझा न करें।
यह आपको नष्ट कर देगा।”
–चाणक्य
34. “भगवान मूर्तियों में मौजूद नहीं है।
आपकी भावनाएं ही आपका भगवान हैं।
आत्मा तुम्हारा मंदिर है।”
–चाणक्य
35. “जैसे ही भय निकट आए,
उस पर आक्रमण करो और उसे नष्ट कर दो।”
-चाणक्य
36. “आध्यात्मिक शांति के अमृत से संतुष्ट लोगों को
जो सुख और शांति प्राप्त होती है,
वह लालची व्यक्तियों को बेचैनी से इधर-उधर घूमने से नहीं मिलती है।”
-चाणक्य
37. “हे ज्ञानी! अपना धन केवल योग्य को दें ,
और दूसरों को कभी नहीं।
मेघों द्वारा प्राप्त समुद्र का जल सदैव मीठा होता है।”
–चाणक्य
38. “किसी व्यक्ति की सहनशीलता को ध्यान में रखते हुए,
उसे परेशान न करें।
-चाणक्य
39. “शक्तिशाली दिमाग को कोई नहीं हरा सकता”
–चाणक्य
40. “पहले पांच साल अपने बच्चे के साथ एक प्यारे की तरह व्यवहार करें।
अगले पांच साल तक उन्हें डांटो।
जब तक वे सोलह वर्ष के नहीं हो जाते,
तब तक उनके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करें।
आपके बड़े हो चुके बच्चे आपके सबसे अच्छे दोस्त हैं।”
-चाणक्य
41. “बुरे साथी पर भरोसा मत करो और
न ही साधारण मित्र पर भी भरोसा करो,
क्योंकि अगर वह तुमसे नाराज हो गया
तो वह तुम्हारे सारे राज खोल देगा।”
-चाणक्य
42. जीवन में तीन मंत्र
आनंद में वचन मत दीजिए,
क्रोध में उत्तर मत दीजिए,
दुख में निर्णय मत लीजिए।
– चाणक्य
43. “मूर्ख व्यक्ति के लिए पुस्तकें उतनी ही उपयोगी होती हैं,
जितना कि अंधे व्यक्ति के लिए आईना उपयोगी होता है।”
-चाणक्य
44. “कम दिमाग वाले लोग कपटी, दुष्ट और धोखेबाज होते हैं।,
उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
नीच बुद्धि वालों पर विश्वास करना नीति में भूल ,
और व्यर्थ है क्योंकि वे भरोसे के लायक नहीं हैं।
प्रशासक को नीच बुद्धि वालों पर विश्वास करके ,
विपत्ति को निमंत्रण नहीं देना चाहिए।”
-चाणक्य
45. “जिस तरह एक सूखा पेड़ आग लगने पर
पूरे जंगल को जला देता है उसी तरह ,
एक दुष्ट पुत्र पूरे परिवार को नष्ट कर देता है।”
–चाणक्य
Motivational Chanakya Quotes in Hindi
46. “हमारा शरीर नश्वर है,
धन स्थायी नहीं है और मृत्यु सदैव निकट है।
इसलिए हमें तुरंत पुण्य के कार्यों में संलग्न होना चाहिए।”
-चाणक्य
47. “जो धन के लेन-देन में, ज्ञानार्जन में, खाने में
और व्यापार में लज्जा का त्याग करता है, वह सुखी होता है।”
-चाणक्य
48. “पृथ्वी सत्य पे टिकी हुई है।
ये सत्य की ही ताक़त है,
जिससे सूर्य चमकता है और हवा बहती है।
वास्तव में सभी चीज़ें सत्य पे टिकी हुई हैं।” ~
— आचार्य चाणक्य
49. “जिसका ज्ञान किताबों तक ही सीमित है
और जिसका धन दूसरों के कब्जे में है,
वह जरूरत पड़ने पर न तो
अपने ज्ञान का उपयोग कर सकता है और न ही धन का।”
-चाणक्य
50. “हमें अतिथि के लिए चिंतित नहीं होना चाहिए,
न ही हमें भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए,
समझदार लोग केवल वर्तमान में रहकर अपना कार्य करते हैं।
-चाणक्य
51. “महिलाओं में पुरुषों की तुलना में भूख दोगुनी,
लज्जा चार गुना, साहस छह गुना और वासना आठ गुना होती है।”
–चाणक्य
52. “कोई व्यक्ति कर्म से महान होता है, जन्म से नहीं।”
–चाणक्य
53. “जिस आदमी से हमें काम लेना है,
उससे हमें वही बात करनी चाहिए जो उसे अच्छी लगे।
जैसे एक शिकारी हिरन का शिकार करने से पहले मधुर आवाज़ में गाता है।”
~ आचार्य चाणक्य
54. “कोई काम शुरू करने से पहले,
हमेशा अपने आप से तीन प्रश्न पूछें –
मैं यह क्यों कर रहा हू, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं
और क्या मैं सफल हो सकता हूं।
जब आप गहराई से सोचें और इन
सवालों के संतोषजनक जवाब पाएं, तभी आगे बढ़ें।”
–चाणक्य
55. “वासना के समान विनाशकारी कोई रोग नहीं है।”
–चाणक्य
56. “कोई व्यक्ति किसी ऊंचे आसन पर बैठने से नहीं,
बल्कि उच्च गुणों से महान बनता है।
एक महलनुमा इमारत की चोटी पर बैठने से कौआ चील नहीं बन जाता।”
-चाणक्य
57. “सद्गुणी और फलों से लदे वृक्ष झुकते हैं,
परन्तु मूर्ख और सुखी लकड़ियाँ टूट जाती हैं, क्योंकि वे झुकते नहीं।”
–चाणक्य
58. “वह जो हमारे मन में रहता है वह निकट है
भले ही वह वास्तव में दूर हो,
लेकिन जो हमारे दिल में नहीं है वह दूर है,
भले ही वह वास्तव में पास हो।”
-चाणक्य
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60. “एक आदर्श पत्नी वो है जो अपने पति की सुबह
माँ की तरह सेवा करे और दिन में एक बहन की तरह प्यार करे
और रात में एक वेश्या की तरह खुश करे।” ~
– आचार्य चाणक्य
61. “जिस प्रकार सुगन्धित पुष्पों से युक्त एक ही वृक्ष से
सारा वन सुगन्धित हो जाता है,
उसी प्रकार गुणवान पुत्र के जन्म से कुल का यश होता है।”
-चाणक्य
62. “फूलों की सुगंध हवा की दिशा में ही फैलती है।
लेकिन इंसान की अच्छाई हर दिशा में फैलती है।”
-चाणक्य
63. “समय मनुष्य को पूर्ण भी बनाता है और नष्ट भी करता है।”
–चाणक्य
64. “एक बार जब आप किसी चीज़ पर काम करना शुरू कर दें,
तो असफलता से न डरें और उसे न छोड़ें।
जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वे सबसे ज्यादा खुश होते हैं।”
–चाणक्य
65. “शेर से जो एक उत्कृष्ट बात सीखी जा सकती है
वह यह है कि मनुष्य जो कुछ भी करने का इरादा रखता है
उसे पूरे दिल और ज़ोरदार प्रयास के साथ करना चाहिए।”
-चाणक्य
66.“ऋण, शत्रु और रोग को समाप्त कर देना चाहिए।”
~ आचार्य चाणक्य
67. “वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को भी जला देती है,
अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का भी अहित कर सकते हैं।”
~ आचार्य चाणक्य
68. “जिसका आचरण दुराचारी, जिसकी दृष्टि अशुद्ध है,
और जो कुटिल स्वभाव का है,
उससे जो मित्रता करता है, वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।”
-चाणक्य
69. “जो अपना धन खो देता है उसे उसके मित्र, उसकी पत्नी,
उसके नौकर और उसके सम्बन्धी त्याग देते हैं।
जब वह अपना धन फिर से पा लेता है,
तो जिन ने उसे त्याग दिया है वे उसके पास फिर आ जाते हैं।
इसलिए धन निश्चित रूप से सबसे अच्छा संबंध है।”
-चाणक्य
70. “ये मत सोचो की प्यार और लगाव एक ही चीज है।
दोनों एक दूसरे के दुश्मन हैं।
ये लगाव ही है जो प्यार को खत्म कर देता है।”
~ आचार्य चाणक्य
71. “जब कोई जीवन के दुखों से ग्रसित हो जाता है,
तो तीन चीजें उसे राहत देती हैं:- संतान, पत्नी और भगवान के भक्तों की संगति।”
-चाणक्य
72. “साँप भले ही जहरीला न हो,
उसे विषैला होने का ढोंग करना चाहिए।”
-चाणक्य
73. “एक व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए।
सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं और
ईमानदार लोगों पर पहले शिकंजा कसा जाता है।”
–चाणक्य
74. “दुष्ट संगति का त्याग करो और संतों की संगति करो।
दिन-रात पुण्य अर्जित करो, और सदा उस पर ध्यान करो
जो शाश्वत है, उसे भूल जाओ जो अस्थायी है।”
-चाणक्य
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75. “धन, एक मित्र, एक पत्नी और एक राज्य वापस प्राप्त किया जा सकता है,
लेकिन यह शरीर खो जाने पर फिर कभी प्राप्त नहीं हो सकता।”
–चाणक्य
76. “चोर और राज कर्मचारियों से धन की रक्षा करनी चाहिए।”
~ आचार्य चाणक्य
77. “मूर्ख लोगों से कभी बात भी वाद-विवाद नहीं करना चाहिए
क्योंकि ऐसा करने से हम अपना ही समय नष्ट करते हैं।”
-चाणक्य
78. “नौकर को उसके कर्तव्य के निर्वहन में,
रिश्तेदार को कठिनाई में,
मित्र को विपत्ति में और पत्नी को दुर्भाग्य में परखें।”
-चाणक्य
79. “शत्रु की बुरी आदतों को सुनकर कानों को सुख मिलता है।”
~ आचार्य चाणक्य
80. “एक स्थायी संबंध विशेष उद्देश्य या धन पर निर्भर होता है।”
-चाणक्य
आचार्य चाणक्य के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार | Chanakya Quotes in Hindi
81. “एक कर्जदार पिता, एक व्यभिचारी माँ, एक सुंदर पत्नी
और एक अज्ञानी पुत्र अपने ही घर में दुश्मन होते हैं।”
-चाणक्य
82. “जो जन्म से अन्धे हैं वे देख नहीं सकते,
वैसे ही अंधे हैं वे लोग जो वासना की पकड़ में हैं।
अभिमानी लोगों को बुराई का बोध नहीं होता और
जो धन कमाने पर तुले हैं, वे अपने कामों में कोई पाप नहीं देखते।”
-चाणक्य
83. “जिसका पुत्र उसका आज्ञाकारी है,
जिसकी पत्नी का आचरण उसकी इच्छा के अनुसार है,
और जो अपने धन से संतुष्ट है, उसका स्वर्ग यहीं पृथ्वी पर है।”
-चाणक्य
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84. “जिसके पास धन है उसके मित्र हैं।”
-चाणक्य
85. “संधि और एकता होने पर भी सतर्क रहें।”
~ आचार्य चाणक्य
86. “बुद्धिमान व्यक्ति को सारस की भाँति
अपनी इन्द्रियों को वश में करना चाहिए
और अपने स्थान, काल और योग्यता को जानकर
अपने उद्देश्य को पूरा करना चाहिए।”
-चाणक्य
87. “दुष्ट व्यक्ति व्यवहार करने पर भी हानि पहुँचाता है।”
-चाणक्य
88. “एक दुष्ट पत्नी, एक झूठा दोस्त, एक दुष्ट नौकर
और एक घर में एक साँप के साथ रहना मृत्यु के अलावा और कुछ नहीं है।”
-चाणक्य
89. “मूर्ख व्यक्ति के लिए पुस्तकें उतनी ही उपयोगी होती हैं,
जितना कि अंधे व्यक्ति के लिए आईना उपयोगी होता है .
–चाणक्य
90. “संतुलित मन के समान कोई तपस्या नहीं है,
और संतोष के समान कोई सुख नहीं है।
लोभ जैसा कोई रोग नहीं, और दया जैसा कोई पुण्य नहीं।”
–चाणक्य
91. किसी विशेष प्रयोजन के लिए ही शत्रु मित्र बनता है।”
~ आचार्य चाणक्य
92. “जंगल की आग पेड़ों को जलाकर राख कर देती है।
शीतलता और सुगंध के गुणों से संपन्न महँगा चंदन का पेड़
भी जलने से नहीं बच सकता।
उसी प्रकार दुष्ट अपने हितैषियों को भी हानि पहुँचाते हैं।”
-चाणक्य
93. “जो अपने लक्ष्यों का निर्धारण नहीं कर सकता,
वह जीत नहीं सकता।”
-चाणक्य
94. “किसी व्यक्ति के भविष्य को उसकी
वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर मत आंकिए,
क्योंकि समय में इतनी ताकत है कि
वह काले कोयले को चमकदार हीरे में बदल सकता है।”
–चाणक्य
95. “दुर्बल के साथ संधि ना करें।”
~ आचार्य चाणक्य
96. “वह जो भविष्य के लिए तैयार है और
जो उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति से चतुराई से निपटता है,
दोनों खुश हैं, परन्तु भाग्यवादी मनुष्य जो पूरी तरह से
भाग्य पर निर्भर रहता है, नष्ट हो जाता है।”
-चाणक्य
97. “जो व्यक्ति भविष्य की परेशानियों से अवगत है
और अपनी बुद्धि से उनका मुकाबला करता है
वह हमेशा खुश रहता है और जो व्यक्ति बिना काम किए
अच्छे दिनों के आने की प्रतीक्षा करता है,
वह अपने जीवन को नष्ट कर देगा।”
-चाणक्य
98. “कभी भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।”
–चाणक्य
99. “हमें अपने दान, तपस्या, शौर्य, शास्त्र ज्ञान,
शील और सदाचार पर अभिमान नहीं करना चाहिए
क्योंकि संसार दुर्लभतम रत्नों से भरा है।”
-चाणक्य
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100. “अहंकार को सम्मान से जीता जा सकता है,
पागल को पागलों की तरह व्यवहार करने की
अनुमति देकर जीता जा सकता है और एक
बुद्धिमान व्यक्ति को सच्चाई से जीता जा सकता है।”
-चाणक्य
101. “मित्र, भले ही वह शत्रु का पुत्र क्यों न हो,
उसकी रक्षा करनी चाहिए।”
-चाणक्य
102. “प्रेमपूर्ण वचनों से सभी प्राणी प्रसन्न होते हैं
और इसलिए हमें ऐसे शब्दों को संबोधित करना चाहिए
जो सभी को भाते हैं, क्योंकि मीठे शब्दों की कोई कमी नहीं है।”
–चाणक्य
103. “किसी भी कार्य में पल भर का भी विलम्ब ना करें।”
-आचार्य चाणक्य
104. नीम की जड़ में मीठा दूध डालने से नीम मीठा नहीं हो सकता,
उसी प्रकार कितना भी समझाओ,
दुर्जन व्यक्ति का साधु बनना मुश्किल है। -आचार्य चाणक्य
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