ऐसे तो भारत में एक से बढ़कर एक शायरी और ग़ज़ल के फनकार जन्मे और अपनी कला को हमेशा हमेशा के लिए अमर कर गए। जावेद अख़्तर के फ़िल्मी कलाम जितने मशहूर हुए उनकी बाकी रचनाओं को भी उतनी ही मोहब्बत से नवाज़ा गया। जावेद साहब उन नामी हस्तियों में से एक हैं जिन्होंने सिनेमा के साथ-साथ साहित्य को भी एक नया आयाम दिया। उनके लिखे इश्क़िया अफ़सानों के चर्चे ज़मीन से लेकर फ़लक तक होते हैं। तो आज के दौर के कुछ बेहतरीन शायर हमें उस धरोहर की अहमियत याद दिलाकर वापस हमारे ज़मी से जोड़ते है। जिनमे से एक है जावेद अख़्तर, जो अपने उर्दू के लफ्जों में जैसी शायरी घोल के परोसते है।
Love javed akhtar shayari in hindi
JAVED AKHTAR SHAYARI IN HINDI |
छोड़ कर जिस को गए थे आप,
कोई और था,
अब मैं कोई और हूं वापस तो आकर देखिए।
Chhod kar jisko gaye the aap
koi aur tha
ab main koi aur hoon vapas to akar dekhiye .
क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा
कुछ न होगा तो तज़रबा होगा
Kyo dare zindagi me kya hoga
kuchh na hoga to tajurba hoga.
मैंने चाहा तेरे जाने में न कुछ कमी रहे
कोन चाहे उम्र भर ही आँखों में नमी रहे
Maine chaha tere jane me na kuchh kami rahe
kon chahe umar bhar hi aankho me nami rahe.
सब का ख़ुशी से फ़ासला एक क़दम है,
हर घर में बस एक ही कमरा कम है…
Sab ka khushi se fasla ek kadam hai
har ghar me basa ek hi kamra hai..
सँवरना ही है तो किसी की नजरों में संवरिये,
आईने में खुद का मिजाज नहीं पूछा करते
Sawrna hai to kisi ke nazaro me sanwariye
aaine me khud ka mijaj nahi puchh karte.
काश ! कोई हम पर भी इतना प्यार जताती,
पीछे से आकर वो हमारी आँखों को छुपाती,
हम पूछते की कौन हो आप …??
और वो मुस्कुरा कर खुद को हमारी जान बताती…
Kas!koi hum pe bhi itana pyar jatati
pichhe se akar vo hamari aankho ko chhupati
Hum puchhate hai kaun ho aap …??
aur vo muskura kar khud ko hamari jaan batati..
javed akhtar shayari on love
बंध गई थी दिल में कुछ उम्मीद सी
ख़ैर तुम ने जो किया अच्छा किया
Bandh gai thi dil me kuchh umeed si
khair tum ne jo kiya achha kiya .
दर्द के फूल भी खिलते है
बिखर जाते है जख्म कैसे भी हो
कुछ रोज़ में भर जाते है
Dard ke phool bhi khilte hai
bikhar jate hai jakhm kaise bhi ho
kuchh roj me bhar jate hai..
मुझे दुश्मनों से भी खुद्दारी की
उम्मीद रहती है,
किसी का भी हो सर,
कदमों में सर अच्छा नहीं लगता।
Mujhe dusmano se bhi khudari ki
umeed rahti hai
kisi ka bhi ho sir
kadmo me sir achha nahi lagta.
जो हो सके तो ज़्यादा ही चाहना मुझको,
कभी जो मेरी मोहब्बत में कुछ कमी देखो।
Jo ho sake to jyada hi chahana mujhko
kabhi jo meri mohabbat me kuchh kami dekho.
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता,
मुझे पामाल रास्तों का सफर अच्छा नहीं लगता…
Jidhar jate hai sab jana udhar achha nahi lagta
mujhe pamaal rasto ka safar achha nahi lagta..
मैं सोचता हूं यह मोहरे क्या हैं,
अगर मैं समझूं कि जो यह मोहरे हैं,
सिर्फ लकड़ी के हैं खिलौने,
तो जीतना क्या ही, हारना क्या।
Main sochat hoon yah mohre kya hai
agar main samjhu ki jo yah mohre hai
sirf lakdi ke khilone
to jitna kya hi ,harna kya.
javed akhtar shayari 2 lines
ज़रा-सी बात जो फैली तो दास्तान बनी,
वो बात खत्म हुई दास्तान बाकी है।
Jara si bat jo phaili to dastan bani
vo bat khatm hui dasta baki hai ..
इस शाहर मे जीने के अंदाज़ निराले है,
होटो पे लतीफ़े है आवाज़ मे छाले है…
Is sahar me jeene ke andaz nirale hai
hotho pe latif hai awaj me chhale hai..
किसी को क्या बताये कि कितना मजबूर हूं,
चाहा था सिर्फ एक तुमको और तुमसे ही दूर हूं…
Kisi ko kya batein ki kitna majbur hoon
chaha tha sirf ek tumko aur tumse hi door hoon…
अक्ल ये कहती दुनिया मिलती है बाज़ार में,
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए।
Akal ye kahati duniya milti hai bazar mein
dil magar ye kahta hai kuchh aur behtar dekhiye..
तू तो मत कह हमें बुरा दुनिया,
तू ने ढाला है और ढले हैं हम।
Tu to mat kah hame bura duniya
tu ne dhala hai aur dhale hai hum..
दिल को घेरे है रोजगार के गम
रद्दी में खो गयी किताब कोई
Dil ko ghere haI Rojgar ke gum
radhi me kho gai kitab koi..
तब हम दोनों वक्त चुरा कर लाते थे,
अब मिलते हैं जब भी फुर्सत होती है।
Tab hum vakt dono chura kar late the
ab hum milte hai jab bhi phursat hoti hai..
गलत बातों को खामोशी से सुनना,
हामी भर लेना,
बहुत हैं फायदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता।
Galat baton ko khamoshi se sunana
hami bhar lena,
bahut hai phayde is me magar achha nahi lagta.
हमारे दिल में अब तल्खी नहीं है,
मगर वो बात पहले सी नहीं है।
Hamare dil me ab talkhi nahi hai
magar vo bat pahle se nahi hai..
मैं पा सका न कभी इस खलिश से छुटकारा,
वो मुझ से जीत्त भी सकता था जाने क्यों हारा
Main paa nahi saka kabhi is khalis se chhutkara
vo mujh se jeet bhi sakta tha jane kyo hara.
वो ज़माना गुज़र गया कब का,
था जो दीवाना मर गया कब का,
ढूँढता था जो इक नई दुनिया,
लूट के अपने घर गया कब का…
Vo jamana gujar gaya kab ka
tha jo diwana mar gaya kab ka
dhudhta tha jo ik nai duniya
lut ke apne ghar gaya kab ka..
zindagi deep meaning javed akhtar shayari
तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ,
यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
Tamanna phir se machal jaye ,agar tum milne aa javo
yah mausdam hi badal jaye ,agar tum milnae aa javo.
जब आईना तो देखो इक अजनबी देखो
कहां पे लाई है तुमको ये ज़िंदगी देखो
Jab aaina to dekho ek ajanbi dekho
kaha pe lai hai tumko ye jindagi dekho.
प्यार करते हो मुझसे तो इज़हार कर दो,
अपनी मोहब्बत का ज़िकर आज सरे आम कर दो,
नहीं करते अगर सच्ची मोहब्बत तो इंकार कर दो,
ये लो मेरा नादान दिल इसके टुकड़े हज़ार कर दो…
Pyar karte ho mujhse to izhar kar do,
apni mohabbat ka jikar aaj sareaam kar do,
nahi karte agar sachi mohabbat to inkar kar do.
कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी
Kabhi jo khawb tha vo pa liye hai
magar jo kho gai vo chij kya thi.
काश ! कोई चाहने का अरमान न होता,
मैं होश में रहते हुए अनजान न होता,
न प्यार होता किसी पत्थर दिल से हमको,
या फिर कोई पत्थर दिल इंसान न होता..
Kash ! koi chahane ka arnman na hota
main hosh me rahte huve anjan na hota .
na pyar hota kisi pathar dil se hamko
ya phir koi pathar dil insan na hota .
छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था,
अब मैं कोई और हूँ वापस तो आ कर देखिए,
अक़्ल ये कहती दुनिया मिलती है बाज़ार में,
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए…
Chhod kar jis ko gaye the aap koi aur tha
ab amin koi aur hoon vapas to akar dekhiye
akal ye klahati duniya milti hai bazar me
dil magar ye kahata hai kuchh aur behtar dekhiye .
डर हम को भी लगता है रास्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा।
Dar humko bhi lagta hai raste ke sannate se
lekin ek safar par e dil ab jan to hoga.
तुम बैठे हो लेकिन जाते देख रहा हूँ
मैं तन्हाई के दिन आते देख रहा हूँ
Tum baitho ho lekin jate dekh raha hun
main tanha ke din aate dekh raha hoon.
javed akhtar shayari on dosti
याद उसे भी एक अधूरा अफ़्साना तो होगा
कल रास्ते में उसने हम को पहचाना तो होगा
Yaad use bhi ek adhura afsana to hoga
kal raste me us ne hum ko pahchana to hoga.
दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग
जो होता है सह लेते हैं कैसे हैं बेचारे लोग
Dukh ke jangal me phirte hai kab se mare mare log
jo hota hai sah lete hai kaise hai bechare log.
ज़रा मौसम तो बदला है मगर पेड़ों की शाख़ों
पर नए पत्तों के आने में अभी कुछ दिन लगेंगे
Jara sa mausam badla hai magar pedo ki shakho
par naye pato ke aane me abhi kuchh din lagege.
बहुत से ज़र्द चेहरों पर ग़ुबार-ए-ग़म है
कम बे-शक पर उन को मुस्कुराने में
अभी कुछ दिन लगेंगे
Bahut se jard chehro par gubara- e- gum hai
kam be- shak par un ko muskurane me
abhi kuchh din lagenge.
एक ये दिन जब अपनों ने भी हम से नाता तोड़ लिया
एक वो दिन जब पेड़ की शाख़ें बोझ हमारा सहती थीं
Ek din jab apno ne bhi hum se anta tod liya
ek vo din jab ped ki shakhe bojh hamara sahti hai.
मैं क़त्ल तो हो गया तुम्हारी गली में लेकिन
मेरे लहू से तुम्हारी दीवार गल रही है
Mai katal to ho gaya tumahri gali me lekin
mere lahoo se tumhare diwar gal rahi hai.
ख़ून से सींची है मैं ने जो ज़मीं मर मर के
वो ज़मीं एक सितम-गर ने कहा उस की है
Khun se sinchi hai maine jo jamin mar mar ke
vo jamin ek sitam gar ne kaha us ki hai.
तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद
निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो.
Tum ye kahte ho ki main gair hun phir bhi shayad
nikal aaye koi pahcahn jara dekh to lo.
अगर पलक पे है मोती तो ये नहीं काफ़ी
हुनर भी चाहिए अल्फ़ाज़ में पिरोने का
Agar palak pe hai moti to ye nahi kaphi
hunar bhi chahiye alfaz me pirone ka.
नेकी इक दिन काम आती है हम को क्या समझाते हो
हम ने बे-बस मरते देखे कैसे प्यारे प्यारे लोग
Neki ek din kaam aati hai hum ko kya samjhate ho
hum ne be-bus marte dekhe kaise pyare pyare log.
अगर दुसरो के जोर पर
उड़कर दिखाओगे
तो अपने पैरो से उड़ने
की हुनर भूल जाओगे
Agar dusro ke jor par udkar dikhayoge
to apno pairo se udane ki hunnar bhul jayoge.
ये ज़िंदगी भी अजब कारोबार है कि मुझे
ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का
Ye zindagi bhi ajab karobar hai ki mujhe
khushi hai pane ki koi na ranjan khone ka.
हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है
हम है मुसाफिर ऐसे जो मंजिल में आए है ।
Hamko to bus talsh naye rasto ki hai
hum hai musafir yese jo manjil me aaye hai.
उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी
सर झुकाए हुए चुप-चाप गुज़र जाते हैं
Us dariche me bhi ab koi nahi aur hum bhi
sar jhukaye huye chup -chap gujar jate hai.
मैं भूल जाऊँ तुम्हें अब यही मुनासिब है
मगर भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ
Main bhool tumho ab yahi munasib hai
magar bhulana bhi chahu to kis tarah bhool.
हर तरफ़ शोर उसी नाम का है दुनिया में
कोई उस को जो पुकारे तो पुकारे कैसे
Har taraph shor usi naam ka hai duniya me
koi us ko jo pukare to pukare kaise.
छत की कड़ियों से उतरते हैं मेरे ख़्वाब मगर
मेरी दीवारों से टकरा के बिखर जाते हैं।
Chhat ki kadiyo se utarte hai mare khwab magar
meri diware se takra ke bikhar jate hai.
Best of javed akhtar shayari
तुम फुजूल बातो का दिल पर बोझ मत लेना
हम तो खैर कर लेंगे जिंदगी बसर तन्हा।
Tum phujul bato ka dil par bojh mat lena
hum to khair lenge jindagi basar tanha.
सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया
ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया
Sab hawaye le gaye mere samandar ki koi
aur mujh ko ek kasti badbani de gaya
khair mai pyasa raha par us ne itna to kiya
meri palko ki katro ki vo pani de gaya.
दर्द अपनाता है पराए कौन
कौन सुनता है और सुनाए कौन
कौन दोहराए वो पुरानी बात
ग़म अभी सोया है जगाए कौन
वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं
कौन दुख झेले आज़माए कौन
Dard apanata hai paraye kaun
akun sunata hai aur sunaye kaun
kaun doharye vo puarni bat
gum abhi soya hai jagaye kaun
vo jo apne hai kya vo apne hai
kaun dukh jhele ajamaye kaun.
जो भी मैंने काम किया है
वो मेने दिल के करीब से ही किया है।
जो काम मेरे दिल के करीब नहीं था,
उसको मैंने कभी किया ही नहीं।
Jo bhi amine kam kiya hai
vo maine dil ke karib se hi kya hai
jo kam mere dil ke akrib nahi tha
usko maine kabhi kiya hi nahi..
कोई शिकवा न ग़म न कोई याद,
बैठे बैठे बस आँख भर आई!
Koi shikawa nahi gum koi yaad
baithe baithe bas aankh bhar aai.
नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
ये दुनिया भर के झगड़े, घर के किस्से, काम की बातें
बला हर एक टल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
Nahi milte ho mujhse tum to sab humdard hai mere
jamana mujhse jal jaye agar tum milne aa javo
ye duniya bhar ke jhakde ghar ke kisse kam ki bate
bla har ek tal jaye agr tum tum milne aa gaye.
काफिले रेत हुवे दस्त- ए -जुनु मैं कितने
फिर भी आवारा मिजाजों का सफर जारी हैं.
kaphile ret huve dus -e-junu main kitane
phir bhi awara mijajo ka safar jari hai.
कुछ बातो के मतलब है
और कुछ मतलब की बाते
जो ये समझ लेगा वो दीवाना होगा।
Kuchh bato ke matlab hai
aur kuchh matlab ki bate
jo ye smajh lega vo diwana hoga.
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