BAL KAVITA IN HINDI: इस आर्टिकल में हमने बच्चों के लिए बहुत ही मज़ेदार लोकप्रिय 26 हिन्दी लोकप्रिय एवम शिक्षाप्रद बाल कविता,बच्चों की हिंदी बाल कविताएं को यहाँ पर सम्मलित किया है. यह बच्चों की बाल कविता की प्रसिद्ध कविताएँ है जो हमसब को बच्चपन की याद दिला देती हैं.
यहाँ पर जो बच्चों की बाल कविता बच्चों की कविताएं प्रस्तुत की गई हैं. वह पूरी तरह से बच्चों के मनोविज्ञान के अनुरूप हैं. जो लोकप्रिय कवियों के द्वारा लिखी गई हैं. यह कविताएँ बच्चों के लिए सरल और रूचिकर हैं. जो बच्चो को नई नई चीजे सिखने में मदद करती है. और उनकी बौद्धिक ज्ञान में विकसित करती है. और हमें उम्मीद है की ये बाल कविता बच्चो को बहुत आएगा।
बाल कविता हिंदी में BAL KAVITA IN HINDI
P.1
गौरैया का घर
Gauraiya ka Ghar
मेरे छत के ऊपर उस दिन,
गुमसुम बैठी थी गौरैया।
कभी उछलती-कभी फुदकती,
रोज चहकती थी गौरैया।
पूछा मैंने चिड़िया रानी,
गुमसुम ऐसे क्यों बैठी हो।
करती थी तुम चूं-धूं हरदम,
आज नहीं कुछ तुम बोली हो।
मैंने देखा उस कोने में,
चिड़िया का घर गिरा पड़ा था।
तेज हवा के कारण शायद,
कोने में वह उड़ा पड़ा था।
लेकर सारे तिनके मैंने,
उसके घर को पुनः बनाया।
धीरे से हाथों में लेकर,
चिड़िया को उसमें बैठाया।
-रेखा भारती मिश्रा
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P.2
राष्ट्रीय पक्षी मोर
Rastriye pakshi mor
किस कदर सुन्दर मनोहर,
लगता है ये मोर।
गगन में घन देख कर,
नाच उठता है मोर।।
इसके मस्तक पर,
सुसज्जित कलगी प्यारी।
इसके परों की आभा,
भी कितनी निराली।।
अपने मुकुट में प्रभु भी,
सजाते हैं इसका पंख।
राजा इसकी आकृति का,
बनवाते हैं सिंहासन।।
कें, कें करके गुंजरित,
करता है ये वन।
इसकी शोभा से सुशोभित,
होते हैं उपवन।।
कीट, सर्प, फल-फूल,
का है मोर पक्षी।
मोर भारत का बना है,
राष्ट्रीय पक्षी।।
–रेनू भटनागर
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P.3
हाथी आया झूम कर
Hathi Aaya Jhumkar
हाथी आया झूम कर,
गली-मुहल्लों में घूमकर।
लम्बी सूंड घुमाता,
चौड़े कान हिलाता।
आंखें है इसकी छोटी,
मनों कांच की हो गोटी।
खंभे जैसे पांव है चार,
हाथी चले बीच बाजार।
-पूर्णिमा मित्रा
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P.4
बंदर को जुकाम
Bandar ko jukam
हद से ज्यादा खाये आम।
तब बंदर को हुआ जुकाम।।
ठंडा गरम साथ में खाता।
ऊपर से पानी पी जाता।।
खूब नहाता सुबह शाम।
तब बंदर को हुआ जुकाम।।
छींक छींककर सर चकराया।
टूटा बदन ताप भी आया।।
नाक हो गई उसकी जाम।
तब बंदर को हुआ जुकाम।।
बंदर ने भालू बुलवाया।
भालू ने काढ़ा पिलवाया।।
मला माथ पर झंडू बाम।
तब छू मंतर हुआ जुकाम।।
– डॉ. कैलाश सुमन
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P.5
बाल मुक्तक
Bal Muktak
सदा किताबें देती ज्ञान,
पढ़-पढ़कर बनते विद्वान।
जो चाहो वह जानो समझो,
भाषा, गणित, धर्म, विज्ञान।
आओ हम सब वृक्ष लगायें,
सुखद मनोहर धरा बनायें।
वृक्ष रोकते वायु प्रदूषण,
जीवन में खुशहाली लायें।
साहस दृढ़ता होती जिनके,
मंजिल पास सदा है उनके।
सीखा नहीं हार मानना,
जीत पास आती है चलके।
होते सदा वृक्ष अनमोल,
कौन चुकाता उनका मोल।
वृक्ष लगाना और बचाना,
देना सबसे ऐसा बोल।
सूरज आता सदा जगाने,
आती चिड़ियां गीत सुनने।
लगता हमको कितना अच्छा,
मम्मी आती हमें उठाने।
–कैलाश त्रिपाठी
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P.6
सूरज दादा गुस्सा है
Suraj dada gussa Hai
सूरज दादा गुस्सा है,
धरती माता रूठी है।
मछली जल की रानी है,
बात सरासर झूठी है।
झूठी है जी झूठी है,
सारी नदियां सूखी है।
सूखी है भई सूखी है,
नहर बावड़ी सूखी है।
अब पीने को पानी ना,
मछली जल की रानी ना रानी ना जी रानी ना,
ताल तलैया पानी ना।
प्रभो, हमको पानी दे,
पानी दे जिंदगानी दे।
सब बच्चों ने जोड़े हाथ,
बादल हमको दे बरसात।
-राजूराम बिजारणियां
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P.7
Bal Poem In Hindi
चींटी रानी
Chitti Raani
चींटी रानी चींटी रानी,
कर्मठता का ना कोई सानी।
हर पल चलती रुकती ना जो,
सतत प्रयत्न की जिसने ठानी।
स्वार्थ जिसको छू ना पाता,
उसका सहकार से नाता।
जीवन जीने की रीति सुहानी,
चींटी रानी चींटी रानी।
मिलकर खाती ना उकताती,
बीस गुना जो वजन उठाती।
करती ना वो कभी मनमानी,
चींटी रानी चींटी रानी।
संचय करना जिसे सुहाता,
लीक से हट चलना ना आता।
मीठे की जो रही दीवानी,
चींटी रानी चींटी रानी।
–व्यग्र पाण्डे
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P.8
Bal Kavita In Hindi
कौआ और लोमड़ी
Kaava aur Lomadi
कौआ रोटी कहीं से लाया,
रखकर मुंह में वह हर्षाया।
तभी आ गई वहाँ लोमड़ी,
मन उसका भी था ललचाया।
कहे लोमड़ी कौआ भइया,
कूक राग के तुम्हीं गवैया।
कोई नया राग तुम छेड़ो,
नाचेंगे हम ता ता थैय्या।
बातों में फिर कौआ आया,
कोयल बनने को ललचाया।
चोंच खोलते रोटी गिर गयी,
जिसे लोमड़ी ने चट खाया।
ठग जाने ठग ही की भाषा,
लेकिन कौआ समझ न पाया।
एक बार जब अवसर आया,
बुद्धिमान ने धोखा खाया।
-डॉ. प्रदीप चित्रांशी
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P.9
Bal Kavita
जमकर मौज मनाते मेंढक
Jamkar mauj manate medhak
हैं बारिश में आते मेंढक।
टर्र-टर टर्राते मेंढक।।
लाख किवाड़े बन्द करें हम-
जाने कब घुस जाते मेंढक?
मेरा घर लगता है प्यारा।
शायद उनको बेहद न्यारा।।
पर मम्मा देखें जो उनको-
चढ़ जाता है उनका पारा।।
हुश-हुश-हश-हश हम करते हैं,
लेकिन कहीं न जाते मेंढक।।
कहीं मेज के दिखते नीचे।
पड़े हुए हैं अँखियाँ मींचे।।
कहीं किसी कीड़े को पाकर-
जीभ लपालप उसको खींचे।।
खुद को गायक बड़ा समझते,
राग बेसुरा गाते मेंढक।।
बड़ी-बड़ी आँखें चमकाते।
मानो ज्यों हों हमें डराते।।
कुछ तो गब्बर सिंह बने हैं-
लेकिन कुछ खुद ही डर जाते।।
इधर उछलते उधर फुदकते
जमकर मौज मनाते मेंढक।
जब बारिश गायब हो जाती।
इनकी तनिक नहीं चल पाती।।
ये भी तब गायब हो जाते-
याद हमें तब इनकी आती।।
आस-पास हम खोजा करते।
ढूँढे कहीं न पाते मेंढक।।
-गौरव वाजपेयी
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P.10
Bal Kavita
बिटिया रानी
Bitiya Rani
मेरी बिटिया रानी
कर पढ़ाई तू मन से
डरना मत।
कभी भी किसी से
तू भी एक दिन
तारों की तरह चमकेगी
भी एक दिन
मुश्किलों से जीतेगी।
मेरी बिटिया रानी
जीवन के हर मोड़ पर हंसना
चाहे हो मुश्किल
तुम मुस्कारते रहना।
मेरी बिटिया रानी
तुम्हारी जिंदगी में भी
आयेंगी बाधाएं यकीनन
पर रखना यह विश्वास खुद पर
बाधाएं होती हैं।
चंद दिनों की मेहमान
रखना इस बात का सदैव ध्यान।
–संदीप कुमार
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Bal Kavita In Hindi
सर्दी आई
Sardi Aai
सर्दी आई, आई सर्दी,
ठंड की पहने वर्दी।
सबने लादे ढेर से कपड़े,
चाहे दुबले चाहे तगड़े।
नाक हो गई लाल,
सुकड़ी सबकी चाल।
–अधिराज सिंह
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P.12
Bal Kavita In Hindi
धरती स्वर्ग बनाएँ
Dharti swarg Banaye
बच्चे हम नन्ने-मुन्ने
आगे बढते जाएँ,
भेदभाव नहीं रखें
साथ खेले खाएँ।
पढ़-लिखकर हम अपना
जीवन सुखी बनाएँ,
दुनिया की चिन्ताएँ फिर
कैसे हमे सताएँ।
हम ही जीवन की बाती
अंधकार को दूर भगाएँ,
अपने घर की ज्योति बन
खुशियाँ खूब लुटाएँ।
नफरत की दीवार गिरा कर
सबको गले लगाएँ,
सब आपस में प्यार बांटकर
धरती स्वर्ग बनाएँ।
–अब्दुल समद राही
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P.13
बादल भैया आयेंगे
Badl Bhaiya Aayenge
गुस्सा थूको, सूरज दादा।
क्रोध नहीं अच्छा है ज्यादा।।
छप्पर छानी छायेंगे।
छाया में बैठायेंगे।
तंग पसीना करने आता।
चिपचिप चिपचिप खूब मचाता।।
दिन में चैन न पायेंगे।
रातें टहल बितायेंगे।।
संग हवा के चले गये हैं।
बादल भैया छले गये हैं।।
शादी करके आयेंगे।
दुल्हन प्यारी लायेंगें।।
खूब मचेगी धूम-धड़ाका।
तड़-तड़तड़-तड़तड़क-तड़ाका।।
बाराती बन जायेंगे।
गीत खुशी के गायेंगे।।
जीभ अधर पर फेर रही है।
विद्युत दमक बिखेर रही है।।
बादल भैया आयेंगे।
वर्षा रानी लायेंगें।।
-दिलीप कुमार
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P.14
Baccho Ki Bal Kavita
जल की रानी
Jal Ki Rani
एक मगरमच्छ पानी में
लपक रहा था मछली,
चकमा देकर मछली भागी
मजा चखाया असली।
खूब छकाया, खूब थकाया
आई न उसके हाथ,
नन्ही-सी मछली ने दे दी
मगरमच्छ को मात।
पानी में अब मगरमच्छ जी
घात लगाकर बैठे,
मछली के चक्कर में उसने
दस केकड़े ऐंठे।
समझ गये थे मगरमच्छ जी
मछली बड़ी सयानी,
इसीलिए जग सारा कहता
मछली जल की रानी।
-पुखराज सौलंकी
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P.15
Bal Kavita Hindi Mein
चिड़िया बोली
Chideeya Boli
सुबह हुई तो चिड़िया बोली,
उठो-उठो प्यारी गुडिया।
तुम्हें जगाने आई देखों,
परी लोक से मैं चिड़िया।
सूर्यदेव ने फैलाई हैं,
सुन्दर-सी स्वर्णिम किरणें।
सारे जग पर एक सवेरा,
सुन्दर पुनः लगा तिरने।
उठ जाओ, ओ प्यारी गुड़िया,
बनो न आलस की पुडिया।
ताजी हवा चल रही सन-सन,
प्राणवायु बाँटे सबको।
उठो और अपने पर खोलो,
उठो और छू लो नभ को।
जाओ! चलो! नहाओ-घोओ,
और पढ़ो फिर ओ कुड़िया।
ज्ञान भरी ये गजब किताबें
काश! कभी मैं पढ़ पाती।,
चिड़िया हूँ गुड़िया होती तो,
मैं भी आगे बढ़ पाती।
हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी,
और कभी पढ़ती उड़िया।
फिर भी भाए मुझे चहकना,
जी भर कर मुस्कती हूँ।
जीवन जो पाया ईश्वर से,
मस्त चहकती जाती हूँ।
पढ़-लिखकर तुम खूब चहकना,
और महकना ओ गुड़िया|
-गौरव वाजपेयी
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P.16
Bal Poem In Hindi
किसान गिलहरी
KISHAN GILHARI
चली गिलहरी खेती करने,
कौआ काका नहीं मिला।
खेती अब वह जोते कैसे,
हल, हलवाहा नहीं मिला।
गयी गिलहरी भालू के घर,
ट्रैक्टर के लिए किया आग्रह।
किसी तरह से जोतवाया,
पर जोताई के पैसे कहां मिले।
सब कुछ महंगा तेल भी महगा,
हुई जोताई बहुतै महंगा।
राजा शेर सिंह को अर्जी डाला,
कुछ भी उत्तर नहीं मिला।
गिलहरी ने एक बैठक बुलायी,
जंगल के सब रहे किसान।
भालू, चीता अरू लोमड़ भाई,
खबर मिली शेर सिंह को।
गुस्साये भौंहे तान।
लगा दिया है पोटा सब पर,
जितने थे जंगल के किसान।
खेती सारी परती हो गयी,
हाल बेहाल सब हुए किसान।
-सतीश बब्बा
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P.17
Bal Kavita In Hindi
बच्चे की अभिलाषा
Bacche ki Abhilasha
अभी तो चलना सीखा
सीखा नहीं है बतियाना,
कुछ दिन करने दो नादानी
अभी नहीं मुझको पढ़ना।
हँसने दो खेलने दो
खुले आसमान में उड़ने दो,
मत करो बंद पिंजरे में
मेरे सुंदर से बचपन को।
कुछ दिन यूँ ही रहने दो
मिट्टी का रंग भी चढ़ने दो,
पानी में हो अपनी नाव
हवा में जहाज उड़ाने दो।
जहाँ मम्मी मुझे पढ़ाए
ना हो ट्यूशन जाना,
गर पापा मुझे डाँट लगाएँ
दादी करे कोई बहाना।
होमवर्क हो जहाँ थोड़ा सा
थोड़ी सी हो किताबें,
भारी बैग नहीं उठाना
ऐसा हो स्कूल अपना।
-रंजना डुकलान
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P.18
Bal Kavita Hindi Poems
रेल
REL
छुक-छुक आती-जाती रेल
पों-पों हॉर्न बजाती रेल।
इस डिब्बे से उस डिब्बे में,
आपाधापी ठेलमठेल रेल।।
दो पटरी पर चलती रेल,
सरपट दौड़ लगाती रेल।
गेट पर बैठा टाइमकीपर,
लाल, हरी झंडी दिखाती रेल।।
खानों से कारखानों तक
झटपट आती-जाती रेल।
माल ढोकर आती रेल,
ढोकर माल जाती रेल।।
बच्चे मन के होते सच्चे,
खेल रेल का खेलमखेल।
मुन्नी बिटिया बड़े मजे से
सफर करती रेलमरेल।।
सामान ढोना हुआ आसान,
आसान हुआ आवागमन।
आय के हैं प्रमुख साधन,
देश की आय बढ़ाती रेल।।
-महेन्द्र साहू
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P.19
Bal Kavita In Hindi
सूरज और हवा
Suraj Aur Hawa
चिड़िया बोली तितली डोली,
बच्चों ने अब आँखें खोली।
सूरज ने किरणें बिखराई,
शुद्ध हवा ने ठंडक घोली।
डाली में कलियाँ शरमाई,
तोते ने भी टेर लगाई।
डूबा चंदा तारे छिप गये,
मेंढक भी अब टर्र-टर्र बोली।
फूलों ने अब चूंघट खोला,
काँव-काँव कर कौआ बोला।
फुदक रहा है बछड़ा देखो,
में में करती बकरी भोली।
हिलमिल कर रहते हैं सारे,
धरती माँ के बच्चे प्यारे।
अच्छा काम हो नाम बड़ा,
यह कहते माँ हँसकर बोली।
-कमल सिंह चौहान
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बया पंछी
Baya Pankshi
बया पंछी बड़ा ही प्यारा,
दूर-दूर तक जाता।
अपना सुंदर नीड़ बनाने,
तिनके चुनकर लाता।
लालटेन-सा नीड़ पेड़ पर,
हरदम रहता लटका
वर्षा-आंधी या आतप हो,
नहीं किसी का खटका।
नन्हा-सा यह बया सयाना,
बुनकर भी कहलाता।
मेहनत और लगन से अपना,
अनुपम नीड़ बनाता।
बया घोंसला बुनता रहता,
गीत खुशी के गाता।
जीवट से जीवन जीने की,
सबको सीख सिखाता।
-उदय मेघवाल
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P.21
Bal Kavita In Hindi
कहां खो गये हम
Kaha Kho Gaye Hum
यह दुनिया थी कितनी सुंदर
जब पानी जैसा।
साफ था नीला समंदर
अब तो कचरा है।
दुनिया में यहां-वहां
यह खो गये हम कहां
जब सच्चे थे सबके इरादे
जुड़े थे दिल से सबके नाते।
अब तो जहर है
उगलता सबके यहां
कुछ नहीं सोचते
लालच के अलावा
सबकुछ तो।
लिख रहा है ऊपरवाला
हो गया कलयुग
यह सारा जहां
यह खो गये हम कहां।
-रितोश्री कार
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P.22
Bal Kavita In Hindi
गिनती
Ginatee
आओ गिनती गिने एक
आसमान में तारे अनेक.
एक और एक दो होते हैं।
बच्चे माँ बिन रेोते हैं.
दो और एक होते तीन
साँप के आगे बजाते बीन.
तीन और एक होते चार
आम नीबू का बनाओं आचार,
चार और एक होते पाँच
मुनिया करती सुन्दर नाच.
पाँच और एक होते छ:
बोलो ओम शिवाय नमः.
छः और एक होते सात
करो नमस्ते मिलाओ हाथ
सात और एक होते आठ
कविता सुनाओ पढ़ो पाठ,
आठ और एक होते नौ
उजाला करते दीये की लौ.
नौ और एक होते दस
यहीं तक पढ़ते गिनती बस.
-चन्द्रहास सिन्हा
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P.23
नादान बचपन
Nadan Bachpan
ओ नादान बचपन भी कितना प्यारा था.
ओ नादान बचपन भी कितना प्यारा था.
ना कोई गम, ना कोई जवाबदारी,
हर पल एक नया बहाना था.
हर पल एक नया बहाना था.
ओ नादान बचपन भी कितना प्यारा था.
सुबह से शाम तक था मौजों का ठिकाना
सुबह से शाम तक था मौजों का ठिकाना
बरसात के मौसम में पानी में भीगना
छपाक-छपाक गड़ढों में कूदना
गिरते पानी में बस्ता का छाता बनाना
ओ बचपन भी कितना प्यारा था.
ओ बचपन भी कितना प्यारा था.
कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेलने की मस्ती थी और कुछ नहीं सुझती थी.
स्कूल से भागने का बहाना
हो गया पूरा गीला आज मुझे
है जाना ऐसा तरह-तरह के बहाना.
दोस्तों के ऊपर कीचड़ छीटकाना,
लड़ना भी तो कीचड़ से लथपथ होकर
खेलना भी तो किचड़ में ही था
कितना मना करे न मानना था
ओ नादान बचपन भी कितना प्यारा था.
ओ नादान बचपन कितना प्यारा था.
-वसुंधरा कुरें
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P.24
घर में नन्ही किलकारियां
Gharme nanahi kilkariya
नन्ही किलकारीयों से,
गूँज उठा है अंगान,
खुशियों से भर गया,
मेरा ये जीवन,
पा लिया हो जैसे,
दबा हुआ खज़ाना,
खुशी में पागल है,
ऐसे ये मेरा मन,
तोतली ज़ुबान से,
अब कोई पुकारेगा,
इंतज़ार उस पल का,
रहेगा अब हरदम ।
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P.25
कुदरत का वरदान हैं बच्चे
Kudrat ka vardan hai Bacche
कुदरत का वरदान हैं बच्चे,
माँ – बाप की जान हैं बच्चे,
इनके मन भगवान् है बस्ता,
फ़िर कैसे शैतान हैं बच्चे,
कुदरत का वरदान हैं बच्चे ।
हर देश का है भविष्य इनसे,
पूछलो जाकर मर्ज़ी जिनसे,
फ़र्क किया ना इनमें किसी ने,
सारे एक समान हैं बच्चे,
कुदरत का वरदान हैं बच्चे,
माँ – बाप की जान हैं बच्चे ।
बच्चा होना हर कोई चाहे,
पर मुश्किल बच्चों की राहें,
पैदा होने से लेकर अब तक,
पलते नहीं आसान हैं बच्चे,
कुदरत का वरदान हैं बच्चे,
माँ – बाप की जान हैं बच्चे ।
बच्चों पर बोझा ना डालो,
बच्चों को अच्छे से पालो,
ध्यान रखो हर वक़्त उनका,
क्यूंकि अभी नादान हैं बच्चे,
कुदरत का वरदान हैं बच्चे,
माँ – बाप की जान हैं बच्चे ।
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कहाँ रहेगी चिड़िया?
Kaha Rahegi chidiya?
आंधी आई जोर-शोर से,
डाली टूटी है झकोर से,
उड़ा घोंसला बेचारी का,
किससे अपनी बात कहेगी?
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?
घर में पेड़ कहाँ से लाएँ?
कैसे यह घोंसला बनाएँ?
किससे यह सब बात कहेगी,
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?
– महादेवी वर्मा