साल तो बदल गया क्या हममें कुछ बदला
ये सोच कुछ नया करने की ठानी है।
जो हो गया पिछले साल में वो फिर ना हो
ये विचार में में ले पल हरपल आगे चलने की ठानी है।
मैं आगोश में भरने के लिए बेताब हूं उसको
मगर उसको खबर नहीं मेरे इस एहसास का
ये झूमती बहारे, ये चांदनी रात भाता नहीं
हम ख़यालो की दुनिया बसाए जा रहे,
कुछ हो ना हो कदम आगे बढ़ाए जा रहे।
पता मंज़िल का कहा है किसीको मालूम,
फिर भी मेहनत की मंज़िल बनाए जा रहे।
कितना दर्द है मेरे सीने में कैसे इसे बाया करे
किसीको को कह नहीं सकता कहे बीन रह नहीं सकता।
ये पास मेरे बड़ी उलझन है हसीन जिंदगी जीने की
कोसिसे हर घडी लगी जी तोड़ है।
कुछ खवाईसे अधूरी है मेरी
कुछ सपने अधूरे है मेरे जाना कहा तक है
मालूम नहीं
फिर भी जीतोड़ मेहनत करने की
बीड़ा हमने उठाई है।