iftikhar Arif Shayari :– इफ्तिखार आरिफ़, एक पाकिस्तानी कवि हैं, जिनकी उर्दू शायरी हिंदी में भी लोकप्रिय है। इफ्तिखार आरिफ़ की शायरी, विशेष रूप से उनकी ग़ज़लें, हिंदी भाषी क्षेत्रों में भी बहुत पसंद की जाती हैं। उनकी शायरी में भावनाओं की गहराई और भाषा की मिठास होती है। इस पोस्ट में आपको उनके बेहतरीन शायरी आपको मिल जाएंगे।।
iftikhar Arif Shayari
बिखर जाएँगे हम क्या जब तमाशा ख़त्म होगा
मिरे मा’बूद आख़िर कब तमाशा ख़त्म होगा ।
डूब जाऊँ तो कोई मौज निशाँ तक न बताए
ऐसी नदी में उतर जाने को जी चाहता है।
हुआ हैं यूं भी कि इक उम्र अपने घर न गए ये
जानते थे कोई राह देखता होगा।
तमाशा करने वालों को ख़बर दी जा चुकी है
कि पर्दा कब गिरेगा कब तमाशा ख़त्म होगा
कहानी आप उलझी है कि उलझाई गई है
ये उक़्दा तब खुलेगा जब तमाशा ख़त्म होगा।
घर से निकले हुए बेटों का मुक़द्दर मालूम
माँ के क़दमों में भी जन्नत नहीं मिलने वाली
नज़र न आए मुझे हुस्न के सिवा कुछ भी
वो बेवफ़ा भी अगर है तो बेवफ़ा न लगेl
ये सब कठ-पुतलियाँ रक़्साँ रहेंगी रात की रात
सहर से पहले पहले सब तमाशा ख़त्म होगा
वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी
मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी।
उसे समझने का कोई तो रास्ता निकले
मै चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले।
वही पैमाँ जो कभी जी को ख़ुश आया था बहुत
उसी पैमाँ से मुकर जाने को जी चाहता है।
दयार-ए-नूर में तीरा-शबों का साथी हो”,
मिरे ख़ुदा मुझे इतना तो मो’तबर कर दे”
खुला फ़रेब-ए-मोहब्बत दिखाई देता है
अजब कमाल है उस बेवफ़ा के लहजे मेंl
इंसान अपने आप में मजबूर है बहुत
कोई नहीं है बेवफ़ा अफ़्सोस मत करो
ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं
फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं
iftikhar arif poetry in urdu
मुंहदिम होता चला जाता है दिल साल-ब-साल
ऐसा लगता है गिरह अब के बरस टूटती है
वो बेवफ़ा है उसे बेवफ़ा कहूँ कैसे
बुरा ज़रूर है लेकिन बुरा कहूँ कैसेl
दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है
आग मे आग मिलाता है फिर पानी करता है।
बिगड़ गई थी जो दुनिया सॅंवार दी हमने
चढ़ा के सर पे मुहब्बत उतार दी हमने
अँधेरी रात किसी बेवफ़ा की यादों में
बहुत तवील थी लेकिन गुज़ार दी हमने
बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं
और कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है।
कभी मिल जाए तो रस्ते की थकन जाग पड़े
ऐसी मंजिल से गुज़र जाने को जी चाहता है।
ज़माना हो गया खुद से मुझे लड़ते-झगड़ते,
मै अपने आप से अब सुल्ह करना चाहता हूँ।
उस एक ख़्वाब की हसरत में जल बुझी
आँखें वो एक ख़्वाब कि अब तक नज़र नही आया।
करें तो किस से करे ना-रसाइयों का गिला
सफ़र तमाम हुआ हम सफ़र नही आया!
घर की वहशत से लरज़ता है मगर जाने क्यूँ
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है।
थके-हारे हुए सूरज की भीगी रौशनी में
हवाओं से उलझता बादबाँ कैसा लगेगा
जमीं क़दमों के नीचे से फिसलती जाएगी रेत
बिखर जाएगी जब उम्र-ए-रवाँ कैसा लगेगा ।
बहुत इतरा रहे हो दिल की बाज़ी जीतने पर
ज़ियाँ बा’द अज़ ज़ियाँ बा’द अज़ ज़ियाँ कैसा लगेगा
हम भी इक शाम बहुत उलझे हुए थे ख़ुद में
एक शाम उस को भी हालात ने मोहलत नही दी।
My page link:- Dil Ki Awaz
मशहूर शायर की शायरी:–
Allama Iqbal famous shayari in Hindi
150+Jaun Elia shayari in Hindi
Javed Akhtar Best shayari collection
Gulzar sahab ki famous shayari
Heart Touching Mirza galib ki shayari
50+ Muneer niyazi shayari in Hindi
Famous Harivansh Ray Bachan ki shayari
80+ Rahat indori shayari collection