50+ Muneer Niyazi shayari collection|मुनीर नियाज़ी शायरी इन हिंदी

 

हेलो  दोस्तों इस पोस्ट मैं आज मुनीर नियाज़ी के  दिल की धड़कने बढ़ा देने वाली शायरी का कलेक्शन लाया हूँ।  हमें उम्मीद ये शायरी आपलोगो को बेहद पसंद आएगा। 

मुनीर का ज़्यादातर कलाम पढ़ कर इस कथन पर सहज विश्वास कर लेने को जी चाहता है कि ‘शायरी पैगम्बरी का हिस्सा होती है’। मुनीर की शायरी में आने वाले कल की आहटें साफ़ सुनाई देती हैं। दरअसल वे अपने समय की बात करते हुए भी अपनी नज़र बहुत आगे तक रखते हैं, इसीलिए वे अब भी प्रासंगिक हैं और हमेशा रहेंगे। वास्वत में मुनीर नियाज़ी की shayari  अपने समय से काफी आगे जाकर भविष्य की नब्ज़ पर हाथ रख कर उसे संवारने का संदेश देती है। 

Munir niazi shayari in Hindi

किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते
सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते
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बेचैन बहुत फिरना, घबराए हुए रहना

इक आग सी जज़्बों की दहकाए हुए रहना.

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इक शाम सी कर रखना, काजल के करिश्मे से
इक चांद सा आंखों में चमकाए हुए रखना.

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डूब चला है ज़हर में उस की आँखों का हर रूप 
दीवारों पर फैल रही है फीकी फीकी धूप .

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तोड़ना टूटे हुए दिल का बुरा होता है,

जिस का कोई नहीं उस का तो ख़ुदा होता है। 

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माँग कर तुम से ख़ुशी लूँ मुझे मंज़ूर नहीं,

किस का माँगी हुई दौलत से भला होता है। 


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कितने यार हैं फिर भी ‘मुनीर’ इस आबादी में अकेला है
अपने ही ग़म के नशे से अपना जी बहलाता है

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लोग नाहक किसी मजबूर को कहते हैं बुरा,

आदमी अच्छे हैं पर वक़्त बुरा होता है।
 
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ज़रूरी बात कहनी हो ,

कोई वादा निभाना हो ,

उसे वापस बुलाना हो ,

हमेशा देर कर देता हूं मैं..

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अपने घर को वापस जाओ रो रो कर समझाता है 

जहाँ भी जाऊँ मेरा साया पीछे पीछे आता है.
 

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ग़म की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं
तू ने मुझ को खो दिया मैं ने तुझे खोया नहीं.

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मदद करनी हो उसकी ,
यार की ढांढस बंधना हो ,
बहुत देरी ना रास्तों पर ,
किसे से मिलने जाना हो ,
हमेशा देर कर देता हूं मैं … 

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आदत ही बना ली है तुमने तो ‘मुनीर’ अपनी

जिस शहर में भी रहना उकताए हुए रहना .

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उस को भी तो जा कर देखो उस का हाल भी मुझ सा है 

चुप चुप रह कर दुख सहने से तो इंसां मर जाता है .

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तोड़ना टूटे हुए दिल का बुरा होता है,
जिस का कोई नहीं उस का तो ख़ुदा होता है। 

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आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए
वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है.

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माँग कर तुम से ख़ुशी लूँ मुझे मंज़ूर नहीं,

किस का माँगी हुई दौलत से भला होता है। 

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लोग नाहक किसी मजबूर को कहते हैं बुरा,

आदमी अच्छे हैं पर वक़्त बुरा होता है। 

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क्यों “मुनीर” अपनी तबाही का ये कैसा शिकवा,

जितना तक़दीर में लिखा है अदा होता है।

 

  नियाज़ी शायरी इन हिंदी

इक शाम सी कर रखना, काजल के करिश्मे से

इक चांद सा आंखों में चमकाए हुए रखना हमेशा। 
 

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अपना तो ये काम है भाई दिल का ख़ून बहाते रहना 

जाग जाग कर इन रातों में शेर की आग जलाते रहना .

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अपने घरों से दूर वनों में फिरते हुए आवारा लोगों 

कभी कभी जब वक़्त मिले तो अपने घर भी जाते रहना .

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ख़ुश्बू की दीवार के पीछे कैसे कैसे रंग जमे हैं 

जब तक दिन का सूरज आए उस का खोज लगाते रहना .

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जानता हूँ एक ऐसे शख़्स को मैं भी ‘मुनीर’
ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं.
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आ गयी याद शाम ढलते ही 

बुझ गया दिल चिराग जलते ही .

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खुल गए शहरे-गम के दरवाजे 

इक जरा सी हवा के चलते ही .

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किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते
सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते.
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कौन था तू कि फिर न देखा तुझे

मिट गया ख्वाब आंख मलते ही .

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खौफ आता है अपने ही घर से 

माह शबताब के निकलते ही .

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तू भी जैसे बदल सा जाता है 

अक्से दीवार के बदलते ही .

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खून सा लग गया है हाथों में 

चढ़ गया जहर गुल मसलते ही .

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अपना तो ये काम है भाई दिल का ख़ून बहाते रहना 

जाग जाग कर इन रातों में शेर की आग जलाते रहना.

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रात के दश्त में फूल खिले हैं भूली-बिसरी यादों के 

ग़म की तेज़ शराब से उनके तीखे नक़्श मिटाते रहना..

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तोड़ना टूटे हुए दिल का बुरा होता है,

जिस का कोई नहीं उस का तो ख़ुदा होता है। 

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माँग कर तुम से ख़ुशी लूँ मुझे मंज़ूर नहीं,
किस का माँगी हुई दौलत से भला होता है। 

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मुनीर नियाज़ी शायरी



अच्छी मिसाल बनतीं ज़ाहिर अगर वो होतीं
इन नेकियों को हम तो दरिया में डाल आए

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कटी है जिस के ख़यालों में उम्र अपनी ‘मुनीर’
मज़ा तो जब है कि उस शोख़ को पता ही न हो.

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कुछ न होगा गिला भी करने से 

जालिमों से गिला किया न करो .

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उन से निकलें हिकायतें शायद

हर्फ लिख कर मिटा दिया न करो .

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कुछ वक़्त चाहते थे कि सोचें तेरे लिए
तू ने वो वक़्त हम को ज़माने नहीं दिया
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अपने रुत्बे का कुछ लिहाज मुनीर 

यार सब को बना लिया न करो .

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अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गया
चाँद ने पानी में देखा और पागल हो गया
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जानते थे दोनों हम उस को निभा सकते नहीं
उस ने वादा कर लिया मैं ने भी वादा कर लिया

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ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ 
तू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ 

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Conclusion: दोस्तों मुझे पूरी उम्मीद है कि ऊपर दिए गए सभी शायरी, रचनाओं और कविताओं को आपने ध्यान से पढ़ा होगा। हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं कि  ये शायरी आपको कैसा लगा । यदि आप ऐसे ही दिलचस्प शायरी  पढ़ना चाहते हैं तो हमारे फेसबुक को पेज अवास्या  ज्वाइन करें। ऊपर दिए गए  Muneer Niyazi shayari in Hindi को अपने दोस्तों और मित्रों के साथ जरूर शेयर करें और आप चाहें तो इन इमेजेस को अपनी सोशल मीडिया अकाउंट में भी साझा कर सकते हैं।

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