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{100+} Dildar Shayari | दिलदार शायरी | Romantic shayari

Dildar Shayari

DILDAR SHAYARI :- दिलदार शायरी में अपना एक खास महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें भावनाओं का संगम अद्वितीय होता है। इसमें साहित्यिक कला का खूबसूरत सांग होता है, जो जीवन के रंग-बिरंगे पलों को सुंदरता से रंगता है। दिलदार शायरी वहाँ तक पहुँचती है जहाँ शब्दों की सीमा के पार होती है  क्योंकि इसमें शायर की भावनाएं और उनकी विचारशीलता दिलों को छू जाती हैं। इसमें प्रेम, इश्क, दर्द, ख्वाब, और जीवन की हर रूपरेखा से जुड़े रंग-बिरंगे अहसास होते हैं।
दिलदार शायरी का सौंदर्य यह है कि यह सुन्दर और गहरे भावनाओं को साझा करने का एक माध्यम प्रदान करती है, जो सुनाने वाले  खुद को और अपने चारों ओर को समझने के लिए प्रेरित करता है। यह शायरी न केवल शब्दों का खेल होती है, बल्कि यह दिल से निकले हुए भावनाओं का एक नया साहित्यिक दृष्टिकोण प्रदान करती है। इसलिए हमने इस पोस्ट में ढेर सारी दिलदार शायरी लाया हूँ जो आपको जरूर पसंद आएगा  

DILDAR SHAYARI IN HINDI

dildar shayari

दिल के छालों को हथेली पे सजा लाया हूं,

गौर से देख मेरी जान मैं क्या लाया हूं।

मैने एक शहर हमेशा के लिए छोड़ दिया,

लेकिन उस शहर को आंखों में बसा लाया हूं।


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शामिल सदा –ए –दिल भी न हो साज के सिवा

नगमे में क्या बचेगा फिर आवाज के सिवा,

क्यों पानी की तरह जीने का अंदाज छोड़ दे।

क्या है हमारे पास इस अंदाज के सिवा।

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तेरे कहने से ये जादू नहीं होने वाला 

अब सितारा कोई जुगनू नहीं होनेवाला 

फिर भी बेताब हु कितना मैं तेरे होने को 

जनता हूँ की मेरा तू नहीं होने वाला।   

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कट ही गई जुदाई भी कब ये हुआ की मर गए

तेरे भी दिन गुजर गए मेरे भी दिन गुजर गए।

तू भी कुछ और और है मैं भी कुछ और और हूं,

जाने वो तू कहा गए जाने वो हम किधर गया।

तू भी गुबारे राह था मैं भी गुबारे राह हूं

तू भी कही बिखर गया हम भी कही बिखर गए।

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अश्कों को यहां जिनके दामन ही नहीं मिलते,

वो रोए तो तुम उनको कंधे से लगा लेना।

दुश्मन की भी बेटी की इज्जत पे आंच आए 

अफवाह नही हमदम सच को भी दबा देना।

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dildar shayari

इश्क की साजिश के सब किरदार पकड़े जाएंगे

एक दिन हम और हमारे यार पकड़े जाएंगे।

पकड़े जाने वाले चोरों ने जो दिए है बयान

उन बयानों पे पहरेदार भी पकड़े जाएंगे।

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वो पैरवी तो झूठ की करता चला गया

लेकिन बस उसका चेहरा उतरता चला गया।

मंजिल समझ कर जो बैठ गए जिनको चंद लोग,

मैं ऐसे रास्तों से गुजरता चला गया।

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भला उस रात आंगन में मेरे क्या आ रहा था,

मैं आंखे बंद करके झोलिया फैला रहा था।

वो कहने को तो मेरा कुछ नही लगता था लेकिन

बिछड़ कर उससे मेरा दिल बहुत घबरा रहा था।

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कहो लब से अगर इनकार भी है

मुझे शायद यही सुनाना है तुमसे

जरा सा प्यार ही तो चाहत हूं तुमसे

बतावो और क्या झगड़ा है तुमसे

भरोसा उठा गया है लब्जो से मेरा

मुझे अब अब कुछ नही कहना है तुमसे।

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जरा सी देर को सक्ते में आ गए थे हम,

एक दूजे के रास्ते में आ गए थे हम।

जो अपना हिस्सा भी औरों में बांट देता है,

एक ऐसे शख्स के हिस्से में आ गए थे हम।

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Dildar shayari hindi


मैं चुप था तो चलती हवाएं रुक गई,

जबां सब समझते है जज्बात की।

ना जी भर के देखा न कुछ बात की,

बड़ी आरजू थी मुलाकात की।

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किसी को फुरसत नहीं की सोचे

खामोशियां का जहान क्या हैं

यहां किसी से न पूछ लेना की

अंशुवो की जुबान क्या है।

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तुम साथ नही हो तो कुछ अच्छा नहीं लगता

इस शहर में क्या है जो अधूरा नही लगता

सीने से लिपटते ही पलट जाने पे खुश है

लहरों को किनारे पे भरोसा नहीं लगता

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खुद गर्ज बना देती है शिद्दत की तलब भी,

प्यासो को दूसरा कोई प्यासा नही लगाता 

हर साल नए पते बदल देते है तेवर

बूढ़ा है मगर पेड़ पुराना नही लगाता ।

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अकेलेपन की अजब वो इन्तेहा करता है

तुम्हारे बाद ये घर साय– साय करता है

मेरी नजर से नजर वो मिला नही सकता

इसी लिए तो नजर दाएं बाएं करता है।

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दर्द सहना बहुत जरूरी है

जिंदा रहना बहुत जरूरी है

अब वो मेरे लिए जरूरी नहीं

उससे कहना बहुत जरूरी है।

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जान दे सकता है क्या साथ निभाने के लिए

हौंसला है तो हाथ बढ़ा मिलाने के लिए

जख्म ये दिल इसलिए चेहरे पे सजा रखा है

कुछ तमाशा तो हो दुनिया को दिखाने के लिए।

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एक शख्स क्या गया पूरा काफिला गया

तूफान था तेज पेड़ को जड़ से हिला गया

जब सल्तनत से दिल की रानी चली गई

फिर क्या मलाल तख्त गया या किला गया।

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जरा सी बात पे नम– दीदा हुआ करते थे,

हम भी क्या सदा– ओ –पेचीदा हुआ करते थे।

अब हमे देख के लगता तो नही है लेकिन

हम कभी उसके पसंदीदा हुआ करते थे।

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उम्र बढ़ने से और क्या होगा 

बस दुखो ने ताविल होना है

और कितनी हयात बाकी है

और कितना जलील होना है।

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हम जैसे इश्क के मारो को तन्हा मार देती है

मोहब्बत जान की प्यासी है बंद मार देती है।

अलग अंदाज है दोनो के अपनी बात कहने के

मैं उस पे शेर कहता हूं वो ताना मार देती है।

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रफ्ता रफ्ता वो मेरी हस्ती का समा हो गए,

पहले जान फिर जाने –ए –जां फिर जन– ए –जानाम हो गए

दिन –ब –दिन बढ़ती गई उस हुस्न की रनाइया 

पहले गुल फिर गुल– बदन फिर गुल बादाम हो गए।

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जब इंसान बिलकुल खामोश हो जाए

और अपने हक के लिए भी न बोले।

तो समझ लेना की वो अपने अंदर

बहुत कुछ दफन कर चुका है।

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वो लौट आएगा एक दिन रन से क्या शिकवा गिला?

यही तो मोहब्बत है 

कई फोन बदले हमने बस नंबर नही बदले।

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इस दुनिया का मुझे तजुर्बा नही था,

सब अपने थे यहा,कोई अपना नहीं था।

जा बैठा अपनी सादगी को लेकर महफिल में,

वहा कोई ऐसा नहीं था जो मुझ पर हस्त नही था।

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किसी इंसान के कुछ समय के

 बुरे व्यवहार की वजह से

उसको हमेशा के लिए बुरा न समझे

कभी कभी हालत बुरे होते है इंसान नही।

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जिंदगी में सबसे बड़ा धनवान इंसान वो होता है,

जो दूसरों को अपनी मुस्कुराहट देकर 

उनका दिल जीत लेता है।

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किसी को सताकर राते गुलाबी नहीं चाहिए ,

धोखे से किस्मत की हमें चाबी नहीं चाहिए। 

गुजर लेंगे सुकून से हम जिंदगी अपनी ,

अपनों को गिराकर हमे कामयाबी नहीं चाहिए। 

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इतना टूटा हूँ के छूने से बिखर जाऊंगा ,

अब अगर और दुवा दोगो तो मर जाऊंगा। 

पूछकर मेरा पता वक्त रायेगा 

 मैं तो बंजारा हूँ क्या जाने किधर जाऊंगा। 

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भरे जहां में कोई मेरा यार था ही नहीं 

 किसी नजर को मेरा इंतज़ार था ही नहीं   

न ढूंढिए मेरी आँखों में रतजगों की थकन 

ये दिल किसी के लिए बेकरार था ही नहीं। 

सुना रहा हूँ मुहबबत की दस्ता जिसको 

मेरी वफ़ा पे जिसको इतवार था ही नहीं। 

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खुली आँखे तो वो था न वो जमाना था 

दहकती आग थी तन्हाई थी फसाना था 

गमो ने यूँ बाँट लिया है मुझे आपस में 

की जैसे मैं कोई लूटा हुवा खजाना हूँ। 

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MAST SHAYARI IN HINDI


जिनके होठो पे हंसी पांव में छले होंगे 

हाँ वही लोग तुम्हे चाहने वाले होंगे। 

मय बरसती है फजावो पे नशा तरी का 

मेरे साकी ने कही जाम उछाले होंगे। 

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कौन कहता है मोहब्बत की जबान होती है 

ये हकीकत तो निगाहो से बयां होती है। 

 वो नहीं आएं तो सताती है खलिश सी दिल को 

 वो जो आये तो खलिश और जवां होती है। 

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कभी आह लब पे मचल गई कभी अश्क आँखों गए,

वो तुम्हारे गम के चराग है कभी बुझ गए कभी जल गए 

 जो फन्ना हुवे गम - ए -इश्क़ में उन्हें ज़िन्दगी न गम हुवा 

जो न अपनी आग में जल सके वो पराई आग में जल गए। 

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कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नजर नहीं आती 

 मौत का एक दिन मय्यन है नींद क्यों रात भर नहीं आती      

आगे आती थी हाल ये दिल पे हस्सी अब किसी बात पर नहीं आती। 

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मेरे हम नफ़स मेरे हम नवा मुझे दोस्त  बन के दगा न दे ,

मैं हु दर्द - ए -इश्क़ से जां-ब-लैब लब मुझे जिंदगी की दुवा न दे। 

मेरे दाग-ए- दिल से है रोशनी इसी रौशनी से है जिंदगी 

मुझे डर है ये मेरे चारा -गर ये चराग तू ही बुझा न दे। 

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ये तो रस्म ए जहाँ है जो अदा होती है 

वार्ना चाँद की कहा सालगिरह होती है। 

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कभी आह लब पे मचल गई कभी अश्क आँख ढल गए 

वो तुम्हारे गम के चराग है कभी बुझ गए कभी जल गए 

जो फना हुवे गम- ए-इश्क़ में उन्हें जिंदगी का न गम हुवा 

जो न अपनी आग में जल सके वो पराइ आग में जल गए। 

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जिस दिन वो शख्स तीर चलाने पे आएगा

हर कोई मुस्कुरा के निशाने पे आएगा 

आवाज दे रहे है उसे हजार लोग 

लेकिन वो सिर्फ मेरे बुलाने पे आएगा। 

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है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ 

वरना क्या बात कर नहीं आती 

हम वहा है जहाँ से हम को भी 

कुछ हमारी खबर नहीं आती। 

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अँधेरे को जो पला जा रहा है 

कोई मतलब निकला जा रहा है 

तमना हो रही है सब की पूरी 

हमें वदो पे टाला जा रहा है। 

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अगर मुझको जमीं होना पड़ेगा 

जहाँ तुम  हो वही होना पड़ेगा 

जवानी की मोहबत का भल्ला हो 

मुझे बूढ़ा नहीं होना पड़ेगा 

ये शायर काम पर लग जायेंगे फिर 

तुम्हे कुछ कम हसीं होना पड़ेगा। 

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गजब किया तेरे वादे पे एतवार किया 

तमाम रत कयामत का इंतेज़ार किया 

तुझे तो वादा -ए-दीदार हम से करना था 

ये क्या किया की जहाँ को उम्मीद- वार  किया।  

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आँखे है या मैखाने के दरवाजे खुले है 

ए होठ गुलाबी है की रंगो से धुले है ,

हर साँस में आती है महकती हुई खुश्बू 

सर्कार मेरे कौन से फूलो में तुले है। 

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DILDAR ASHIQUE PAR SHAYARI


दोस्तों के दुश्मनो का यार साबित कर मुझे 

मैं अगर गद्दार हु गद्दार साबित कर मुझे 

पहले मैं भी तेरे दिल की कीमती चीजों में था 

अब अगर बेकार हूँ बेकार साबित कर मुझे। 

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जब कभीआँख मिलाते है वो दीवाने से

रू -ए -ताबां पे उभर आते है वीराने से 

सोचता हूँ तो वो जान से ज्यादा है अजीज 

देखता हूँ तो नज़र आते है बैगाने से। 

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शब् के दरिया का किनारा भी कभी आएगा 

वक्त का क्या है हमर भी कभी आएगा 

मेरे हिस्से में कभी आया था अच्छा कोई दिन 

पुछना था की दोबारा भी कभी आएगा। 

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बस इतना वक्त ही लगाना था जहर खाने में 

जो तूने सिर्फ किया है दिया बुझाने में 

मैं तजुर्बो में घिरा बदनसीब आदमी हूँ 

गावा दिए है कई यार आजमाने में. 

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दिखवा ही करना है तो फिर बड़ा कर 

तू शायर नहीं खुद को आशिक़ कहा कर 

बदन से उछलकर निकल आएगी रूह 

मेरे ख्वाब में गैर को मत छुवा कर। 

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किसी भी गम के सहारे नहीं गुजरती है 

ये जिंदगी तो गुजरे नहीं गुजरती है 

मैं  जिंदगी तो कही भी गुजर सकता हूँ 

मगर बगैर तुम्हरे नहीं गुजारति है। 

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तुमने मेरे घर न आने की कसम खाई तो है 

आंशुवो से भी कहो आँखों में आना छोड़ दे 

प्यार के दुश्मन जरा प्यार से कह के तो देख 

एक डेरा दर ही क्या सारा जमाना छोड़ दे। 

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अगर मैं जिन्दा रहु तो जुदा न होना पड़े 

तुम्हारे बाद किसी और का न होना पड़े 

वो सोचता है मेरा इम्तेहान कैसे ले 

मैं सोचता हूँ मुझे बेवफा न होना पड़े। 

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नज़र मिली तो नज़ारो में बाँट दी मैंने 

ये रोशनी भी सितारों में बाँट दी मैंने 

बस एक शाम बची थी तुम्हारे हिस्से की 

मगर वो शाम भी यारो में बाँट दी मैंने। 

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खुद अपने आप को बर्बाद तो कर रहा हूँ मैं 

ये देख फिर से तुझे याद कर रहा मैं 

तू खुश नहीं है अगर तो तेरी ख़ुशी के लिए 

ले तुझको आज से आज़ाद कर रहा हूँ मैं। 

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हर एक शख्स जहाँ इंतकाम ले रहा था 

वह मैं सब्र -ओ -तहम्मुल से काम ले रहा था मैं 

दीवानगी का सबब पूछा जा रहा था मेरी

मैं चुप था और हुजूम उसका नाम ले रहा था 

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जिन्दगी यूँ ही गुजर जा रही है 

जैसे कोई जंग हरी जा रही है 

जिस जगह पहले के जख्मो के निशान है 

फिर वही पर चोट मारी जा रही है.

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तुमसे मिलकर इतनी तो उम्मीद हुई है 

इस दुनिया में वक्त बिताया जा सकता हैं 

कई दिनों के बाद तुम्हारी याद आई है 

कई दिनों तक काम चलाया जा सकता है। 

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मुकमल हुई ही नहीं मगर आज भी सजा राखी है 

मोहबत उसके हिस्से की आज भी बचा राखी है 

यादे कुछ इस तरह संभाली है मेरे महबूब की मैंने 

तस्वीर जला दी उसकी मगर राख आज भी बचा राखी है। 

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JAKHMI SHAYARI IN HINDI


हारे हुए लोगो को सलाम थोड़ी होते है 

मोहब्ब्बत में बने फकीरो के नाम थोड़ी होते है 

जेब से हलके आशिक है हम समझते हो न 

ऐसे आशिक़ किसी की जान थोड़ी है। 

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जीने के सिर्फ एक बहाने में मर गए 

हम जिंदगी का बोझ उठाने में मर गए 

अच्छा था घर की आग बुझाने में मरते हम 

अफ़सोस अपनी जान बचाने में मर गए। 

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तड़प कर मर रहा हूँ तुझे पाने के लिए 

एक तेरी आवाज ही काफी है मुझे बचाने के लिए 

और शर्म से डूब कर मर क्यों नहीं जाते

जो दिल तोड़ते है कही और दिल लगाने के लिए। 

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उदासी आसमान है दिल मेरा कितना अकेला है 

परिंदा शाम के पुल पर बहोत खामोश बैठा है 

मैं जब सो जाऊ इन आँखों पे अपने होठ रख देना 

यकीं आ जायेगा पलकों तले भी दिल धड़कता है। 

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सच बताये तो शर्म आती है 

और छुपाये तो शर्म आती है 

हम पर एहसान है उदासी के 

मुस्कुराये तो शर्म आती है। 

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गजब किया तेरे वादे पे एतबार किया 

तमाम रात कयामत का इंतज़ार किया 

तुझे तो वादा -ए - दीदार हमसे करना था 

ये क्या किया  की जहाँ को उम्मीद -वार किया। 

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दायर -ए - दिल की रात में चराग सा जला गया

मिला नहीं तो क्या हुवा वो शक्ल तो दिखा गया  

  वो दोस्ती तो खैर अब नसीब -ए -दुसमन हुई 

वो छोटी  छोटी रंजिशो का लुत्फ भी चला गया 

जुदाईयोँ के जख्म दर्द -ए -ज़िन्दगी ने भर दिए 

तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया

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कभी किताबो में फूल रखना कभी दरख्तों पे नाम लिखाना 

हमें भी है याद आज तक वो नज़र से हर्फ़ - ए -सलाम लिखना 

वो चाँद चहरे वो बहकी बाते सुलगते दिन थे महकती रातें 

वो छोटे छोटे कागजो पर मोहब्बत के पयाम लिखना। 


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