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(100+) Garibi Shayari in Hindi 2023। ग़रीबी पर शायरी। Garibi shayari

Garibi shayari- दोस्तों इस आर्टिकल में हम गरीब, गरीबी पर शायरी स्टेटस लेकर आए हैं.मनुष्य के लिए गरीबी अपमान और अभिशाप से कम नहीं हैं. दुनिया की गरीबी को दूर करने का एक सशक्त माध्यम शिक्षा ही हो सकती हैं. गरीबों को शिक्षित और प्रशिक्षित कर इस संघर्ष भरे जीवन से छुटकारा दिलाया जा सकता हैं.

गरीबी हमें जीवन का वो चैप्टर पढ़ाती है जो कोई स्कूल और कॉलेज में नही होता है। आज की इस लेख में हम गरीबी के ऊपर कुछ बेहतरीन शायरी साझा कर रहे है उम्मीद करता हूं। यह शायरियां पढ़के आपको अच्छा लगेगा।


         Garibi shayari in Hindi


Garibi shayari in hindi

उस गरीब ने अपने फटे कपड़े को पूरे ढंग से सिला,

पर वो अपनी फटी किस्मत को न सिल सका।

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कही बेहतर है तेरी अमीरी से मुफसिली मेरी।

चंद सिक्के के ख़ातिर तू ने क्या नहीं खोया हैं।

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माना नहीं है मखमल का बिछौना मेरे पास।

पर तू ये बता कितनी राते चैन से सोया है।

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उन घरो में जहाँ मिट्टी कि घड़े रखते हैं।

कद में छोटे मगर लोग बड़े रखते हैं।

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वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,

आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं।

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ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के,

चौखट एक बाप की ही सूनी होती है।

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घटाएं आ चुकी हैं आसमां पे…

और दिन सुहाने हैं।

मेरी मजबूरी तो देखो मुझे बारिश में भी काग़ज़ कमाने हैं।

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वो रोज रोज नहीं जलता साहब ,

मंदिर का दिया थोड़े ही है गरीब का चूल्हा है।

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कभी आँसू तो कभी खुशी बेचीं ,

हम गरीबों ने बेकसी बेची।

चंद सांसे खरीदने के लिए ,

रोज़ थोड़ी सी जिंदगी बेचीं।

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दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ ,

और एक गरीब सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा।

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छीन लेता हैं हर चीज़ मुझसे ये खुदा।

क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब हैं।

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बहुत जल्दी सिख लेता हूँ ज़िन्दगी का सबक।

गरीब बच्चा हूँ बात बात पर जिद्द नहीं करता।

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किस्मत को खराब बोलने वालो ।

कभी किसी गरीब के पास बैठ के पुछना जिंदगी क्या हैं।

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Garibi shayari in hindi

अमीर के छत पे बैठा कव्वा भी मोर लगता हैं।

गरीब का भुखा बच्चा भी चोर लगता हैं।

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छुपाता था वो गरीब अपने भूख को गुरबत में।

अब वो भी फकर से कहेगा मेरा रोजा हैं।


Garibi Shayari 


सर्दी, गर्मी, बरसात और तूफ़ान मैं झेलता हूँ,

गरीब हूँ… खुश होकर जिंदगी का हर खेल खेलता हूँ।

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तुम रूठ गये थे जिस उम्र में खिलौना न पाकर,

वो ऊब गया था उस उम्र में पैसा कमा-कमा कर।

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दिन ईद के जब क़रीब देखे, 

मैंने अक्सर उदास ग़रीब देखे.!!

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इस कम्बख़्त मौत ने सारा फासला ही मिटा दिया,

एक अमीर को लाकर गरीब के पास ही लिटा दिया.

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अमीरी ने सिखाया जीना दौलत तोल के,

मुफलिसी ने सिखाया जीना मीठा बोल के।

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दिमागी रूप से जो गरीब हो जाते है,

वही गरीबों का मजाक उड़ाते है।

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मेरी गरीबी का मजाक कब तक बनाओगे,

अपनी नाकमयाबी को कब तक छुपाओगे।

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भले हीं कोई यह सुनता गरीब का

पर ऊपरवाले कभी उनको अनदेखा नहीं करते।

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मैं क्या महोब्बत करूं किसी से,

मैं तो गरीब हूँ। 

लोग अक्सर बिकते हैं,

और खरीदना मेरे बस में नहीं।

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इसे नसीहत कहूँ या जुबानी चोट साहब ,

एक शख्स कह गया गरीब मोहब्बत नहीं करते।

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हम गरीब लोग है किसी को मोहब्बत के सिवा क्या देंगे ,

एक मुस्कराहट थी,

वह भी बेवफ़ा लोगो ने छीन ली।


garibi shayari  status


गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है,

इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है।

चेहरे कई बेनकाब हो जायेंगे ,

ऐसी कोई बात ना पूछो तो अच्छा है।

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घर में चुल्हा जल सकें इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है,

हाँ मैंने ग़रीब की साँसों को भी गुब्बारों में बिक़ते देखा है।

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गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका ,

जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका।

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अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,

जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है।

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गरीबी की भी क्या खूब हँसी उड़ायी जाती है,

एक रोटी देकर 100 तस्वीर खिंचवाई जाती है।


ग़रीबी शायरी इन हिंदी


भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें ,

उनके तो हालात ना पूछो तो अच्छा है।

मज़बूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर ,

क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है।

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गरीब लहरों पे पहरे बैठाय जाते हैं ,

समंदर की तलाशी कोई नही लेता।

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नये कपड़े, मिठाईयाँ गरीब कहाँ लेते है,

तालाब में चाँद देखकर ईद मना लेते है।

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खिलौना समझ कर खेलते जो रिश्तों से ,

उनके निजी जज्बात ना पूछो तो अच्छा है।

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बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके ,

कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है।

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ऐ सियासत… तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया,

गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया।

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साथ सभी ने छोड़ दिया,

लेकिन ऐ-गरीबी,

तू इतनी वफ़ादार कैसे निकली।

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रजाई की रूत गरीबी के आँगन दस्तक देती है,

जेब गर्म रखने वाले ठंड से नही मरते।

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एक ज़िंदगी सड़कों पर,

एक महलों में बसर करती है,

कोई बेफिक्र सोता है कहीं मुश्किल से गुज़र होती 

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खाली पेट सोने का दर्द क्या होता मुझे नही पता,

ना जाने जूठन खा के वो बच्चे कैसे बड़े हो जाते।

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कभी निराशा कभी प्यास है कभी भूख उपवास,

कुछ सपनें भी फुटपाथों पे पलते लेकर आस।

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जो छिप गए थे चंद रोज़ की ज़िंदगी कमाने,

मौत ने ढूँढ लिया उनको मुफ़्लिसी के बहाने।

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बना के ताजमहल एक दौलतमंद 

आशिक ने गरीबों की मोहब्बत का तमाशा कर दिया।

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गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब,

वरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं.

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अमीरी का हिसाब तो दिल देख के कीजिये साहब

वरना गरीबी तो कपड़ो से ही झलक जाती है.

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अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है

उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है.

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गरीबों के बच्चे भी खाना खा सके त्यौहारों में,

तभी तो भगवान खुद बिक जाते है बाजारों में.


Garibi motivational status


वो रोज रोज नहीं जलता साहब

मंदिर का दिया थोड़े ही है गरीब का चूल्हा है

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मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना

हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज खातिर.

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जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए,

यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता.

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तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,

दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है.

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कभी जात कभी समाज तो कभी औकात ने लुटा,

इश्क़ किसी बदनसीब गरीब की आबरू हो जैसे।

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हम गरीब लोग है किसी को मोहब्बत के सिवा क्या देंगे

एक मुस्कराहट थी,

वह भी बेवफ़ा लोगो ने छीन ली।

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खुले आसमां के नीचे सोकर भी अच्छे सपने पा लेते है,

हम गरीब है साहेब थोड़े सब्जी में भी 4 रोटी खा लेते है।

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अमीरों के शहर में ही गरीबी दिखती है,

छोड़ दो ऐसा शहर जहाँ हवा बिकती है.

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फ़ेक रहे तुम खाना क्योंकि, आज रोटी थोड़ी सूखी है,

थोड़ी इज्ज़त से फेंकना साहेब, मेरी बेटी कल से भूखी है।

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लगता था जहां में सबसे अमीर था।

जब तक तू करीब था।

आज तूने ये भ्रम भी तोड़ दिया।

मैं आज भी गरीब हूं, मैं तब भी गरीब था।

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ख्वाहिशें भी बड़ी महँगी है ,

ग़रीब के घर नही टिकती…


            Amiri garibi shayari


खैर आना अबकी बार तुम यादों में ,

मेरे ख़्वाबों में भेद नहीं है अमीर-गरीब का ।

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इसे नसीहत कहूँ या

जुबानी चोट साहब

एक शख्स कह गया

गरीब मोहब्बत नहीं करते.

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भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें ,

उनके तो हालात ना पूछो तो अच्छा है।

मज़बूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर ,

क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है।

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कतार बड़ी लम्बी थी,

के सुबह से रात हो गयी,

ये दो वक़्त की रोटी आज

फिर मेरा अधूरा ख्वाब हो गयी।

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जो गरीबी में एक दिया

भी न जला सका।

एक अमीर का पटाका

उसका घर जला गया।

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एै मौत ज़रा पहले आना गरीब के घर ,

कफ़न का खर्च दवाओं में निकल जाता है।

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यहा गरीब को मरने

की जल्दी यूँ भी हैं।

के कही कफन महंगा ना हो जाए।

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गरीबो को गले लगाता कौन है,

उनके दर्द में आँसू बहाता कौन है ,

उनकी मौत पर सियासत छिड़ जाती है,

उनके जीते जी इज्जत दिलाता कौन है।

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अगर मैं लोगो की बाते सह लेता हूं

ये मेरा कमजोरी नहीं मजबूरी है।

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हम गरीब लोग है साहब लोगो के बातो

पे भरोसा बहुत जल्दी कर लिया हूं।

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इस शियासत के दौर में बड़े तो मौज कर रहे

और हम गरीब लोग इसके नीचे दबते जा रहे।


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