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ज़ख़्म दे कर ना पूछ तू मेरे | sad shayari in hindi 2 line

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sad shayari in hindi 2 line          


 ज़ख़्म दे कर ना पूछ तू मेरे दर्द की शिद्दत
दर्द तो फिर दर्द है कम क्या ज्यादा क्या।

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इन्हे अपना भी नहीं सकता मगर इतना क्या कम है
कुछ मुद्दतें हसीं खवाबो मैं खो कर जी लिया हमने।


दिन हुआ है, तो रात भी होगी,
मत हो उदास, उससे कभी बात भी होगी।
वो प्यार है ही इतना प्यारा,
ज़िंदगी रही तो मुलाकात भी होगी।


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वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई,
न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई,
अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ,
कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई।


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मोहब्बत की तलाश में निकले हो तुम
अरे ओ पागल…
मोहब्बत खुद तलाश करती है…
जिसे बर्बाद करना हो।


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अब तेरे बिना जिंदगी गुजारना मुमकिन नही है,
अब और किसी को इस दिल में बसाना आसान नही है,
हम तो तेरे पास कब के चले आये होते सब कुछ छोड़ कर,
लेकिन तूने कभी हमे दिल से पुकारा ही नही है।


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इंसान की ख़ामोशी ही काफ़ी है, 
ये बताने के लिये की वो अंदर से टूट चूका है।


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जाते वक़्त आखिरी बार मुड़के देखा जरूर था उन्होंने हमें
पता नही क्या कहना चाह रही थी वो
 बेबस सी दो आँखे उनकी


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आरजू के दीए दिल में जलते रहेंगे,
आंखों से आंसू निकलते रहेंगे, 
आप समा बनके जलते रहेंगे,
हम मौसम बनके पिघलते रहेंगे।


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ढूंढ लेते तुम्हे हम, शहर कि भीड़ इतनी भी
 न थी.. पर रोक दी तलाश हमने क्योंकि
 तुम खोये नहीं बदल गए थे….


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बहुत करीब से अनजान बनकर गुजरा है वो,
जो बहुत दूर से पहचान लिया करता था कभी.


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हिम्मत इतनी थी समुन्दर भी पार कर सकते थे,
मजबूर इतने हुए कि दो बूंद आँसूओं ने डुबो दिया।


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ऐसा लगता है जैसे हर इम्तिहाँ के लिए…
किसी ने ज़िंदगी को हमारा पता दे दिया है.!!


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अनपढ़ सा मैं, दो लफ्ज़ लिखने लगा हूं,
 मोहब्बत से मैं घायल बहुत हुआ हूं।


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तुझ से नही तेरे वक़्त से नाराज़ हूं, 
जो कभी तुझे मेरे लिए नहीं मिला


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बेहद करीब है वो शख़्स आज भी मेरे इस
 दिल के, जिसने खामोशियों का सहारा
 लेकर दुरियों को अंजाम दिया..


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आजमा लें मुझको थोड़ा सा और ऐ खुदा..
तेरा बंदा बस बिखरा है, मगर अब तक टूटा नहीं।


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हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह कभी शाम याद आता है,
जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।


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तलाश उसकी करो जो किसी के पास न हो,
भुला दो उसे जिस पर विश्वास न हो,
हम तो अपने ग़मों पर भी हँस पड़ते हैं,
वो इसलिए कि सामने वाला उदास न हो।


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उसे जाने की जल्दी थी
तो मैं आँखों ही आँखों में,
जहाँ तक छोड़ सकता था
वहाँ तक छोड़ आया हूँ।


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कल क्या खूब इश्क़ से इन्तकाम लिया मैंने,
कागज़ पर लिखा इश्क़ और उसे जला दिया।


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राह-ए-वफ़ा में हम को ख़ुशी की तलाश थी,
दो कदम ही चले थे कि हर कदम पे रो पड़े।


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