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बेरोजगार नौजवानों का दर्द💘

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बेरोजगार ये शब्द सुन–सुन के अब ऊब गए है। ये क्या चीज है इसका मतलब तब पता चलता है जब कही हम पांच लोग में बात कर रहे हो और कोई पूछ दे की तुम क्या करते हो। तब इस शब्द का असर समझ में आता है। एक दम दिल पे लगता है। एसा लगता है जैसे किसी ने पुराने जख्म को खुरेद दिया हो। उस समय हमारी हालत ऐसी होती है की किसी को बता नहीं सकते। सर नीचे किए वहा  से किसी न किसी बहाने वहा से निकलना पड़ता है। ये है हम नौजवान बेरोजगार का दर्द जो आज तक किसी से पूरा नहीं होता। सरकार आती जाती रहती है पर हम नौजवानों का वही हाल रहता है जैसे बिन  बरसात मोर का। हम ये दर्द किसको बताए। घरवाले जो हमसे उम्मीद लगाए है उन लोगो से कभी भर मुंह बात नही कर पाते। रात को सोते हुए एक सपने और सुबह एक उम्मीद लिए जगते है की आज वो मेरे सपने पूरा हो जाए तो घर वालो को खुशी की खबर पहले दे और उनलोगो के चेहरे पे खुशी की एक लहर देखू पर हर बार नाकामी की मार झेलनी पड़ती है।

एक तो घर के बड़े बेटे होना जिसके सर पे घर से लेकर बहन के शादी के सारे बोझ उनकी कामयाबी पे टिकी होती है। हर पल एक ही बात दिमाग में चलता है की नौकरी मिल जायेगी तो पैसे इक्कठा कर पहले बहन की अच्छे घर में शादी करूंगा उसके बाद ही किसी चीज के बारे में सोचूंगा। ये सारी बाते सोच–सोच कर एक नई उम्मीद लिए रोज संघर्ष करते रहते है। शायद एक दिन ये सपने पूरा हो जाए। और ये सपने भी न रोज टूट–टूट कर मजे लेता है। हा ए ही तो है मजे की बात मेरे भाई जब हम संघर्ष कर जीतते है तो उसका मजा  भी दोगुना होती है। वो कहते है न "लाजवाब सपने लाजवाब संघर्ष और लाजवाब जीत" और हमलोग भी ठान ही लेते है जब तक जीतेंगे नही तक लड़ते रहेंगे। नौकरी की चाहत इतनी है की हमलोग बैठे कहा रहते है हर रोज उम्मीद लिए हर तरफ सपने पूरा करने के लिए कोशिश करते रहते है। हम दुखी तो रहते है पर किसी को एहसास नहीं होने देते की हम परेशान है क्योंकि यहाँ कोई सहारा नही बल्कि आपके मजबूरियों पे हसने वाले ज्यादा मिलते है। इसलिए अपने दर्द को छुपाए हुए मुस्कुराने की नाटक बखूबी निभाते है। यही तो है हम बेरोजगार नौजवानों की हालत बस एक सपना मंजिल की तलास और कुछ पता नही ये सपने कब पूरे होंगे और कब ये संघर्ष का सिलसिला खत्म होगा। रोज संघर्ष किए जा रहे है। ऐसे हम जैसे लाखो नौजवान के अधूरे सपने है जो बस एक संघर्ष बन रह गया है। हमलोग को हर हाल में अपने सपने पूरे करे है क्योंकि हर पत्थर को मूरत बनने के लिए छेनी की मार सहनी बदती है।

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