Header Ads

भूत महल

एक बार मैं एक काम के शिलशिले में बाहर गया था । वहा मुझे एक गोदाम का विवरण और वहा बनानेवाली समान का गिनती कर उनके ऑफिस में रिपोर्ट करना था। मैने वहा उस काम को अच्छी तरह किया और रिपोर्ट ले कर वहा से चल दिया। वहा मजदूर के कमी के कारण मुझे वहा वक्त ज्यादा हो गया था। मैने जल्दी से अपना गाड़ी निकाला और चल दिया ।रास्ते में एक जंगल पड़ता था जो थोड़ा अजीब सा लगता था। इसके लिए मैने अपनी कर का रफ्तार बढ़ा ली की अंधेरा होने से पहले उसे पार कर जाना बेहतर होगा। लेकिन कुछ देर बाद बारिश भी शुरू हो गई। अब तो तेज कर चलाना भी कठिन हो गया। हवाएं भी तेज होने लगी।कुछ समझ में नहीं आ रहा था और कार को संभाल कर चलाने लगा। जंगल को  पर करते बहुत वक्त लग गया। मौसम  खराब होने के कारण दूर–दूर तक कोई आदमी दिखाई नहीं दे रहा था और काफी रात भी हो चुकी थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा था की आगे बढ़े या यही कही रुकने का प्रबंध किया जाए। अंत में एक निर्णय लिया की यही कही रुकना अच्छा होगा।रात भी काफी हो चुकी है और मौसम भी अपने रंग में है। अब तो जगह भी देखना था की कहा रहा जाए इतनी रात में किस–किस के पास जाए सभी लोग तो सो चुके होंगे। कुछ दूर आगे बढ़ा तो एक बहुत ही सुंदर घर दिखा जो दिखने में एक महल की तरह था और सब से अलग भी था। एसा लगा की वहा कोई नही रहता था। मैने सोचा किसी बड़े आदमी का घर हो जो किसी दूसरे शहर में रहता हो। इसलिए मैने वहा जाना उचित समझा की वहा कोई गार्ड तो होगा जो घर का देख भाल करता होगा। उससे अपनी बात बताएंगे और एक रात ठहरने का आज्ञा ले लेंगे। ये सोच कर मैंने उस घर की तरफ चल दिया। वहा जाकर मैने आवाज लगाई"कोई है यहां" तीन चार बार आवाज लगाया पर कोई जवाब नही मिला। आखिर कर मैंने अंदर जाने का फैसला किया और अंदर गया पर वहा भी कोई दिखाई नहीं दे रहा था। वहा की सजावट देख मैं दंग रह गया सच में वो किसी महल से कम न था या शायद वो महल ही था। थोड़ा और अंदर गया और  फिर आवाज लगाई पर कोई बाहर नहीं आया।  कुछ दूर पे एक सोफा था वहा जाकर बैठ गया की काम में व्यस्त होगा इसलिए नहीं आया होगा,काम खतम कर आएगा तब तक यही बैठते है।बैठे बैठे काफी वक्त हो गया पर कोई नही आया।अब तो मुझे अजीब सा लगने लगा।इतना बड़ा घर है और कोई नही पर और कही रहने का ठिकाना भी तो नहीं था। कुछ देर और इंतजार के बाद वही सोफे पे सो गया की कोई होगा तो आयेगा तो मुझे जगाएगा। वहा सोते ही मुझे नींद आ गई। रात की आधी रात हो चुका था की अचानक एक पायल की आवाज मेरी कानो में गूंजी और मेरी आंख खुल गई।मैने चारो तरफ देखा पर वहा कोई नही था। उसके बाद मैं फिर सोने लगा की फिर बहुत सारे पायल की आवाज एक साथ सुनाई देने लगा। मैने सोफा सा उठा और ऊपर के कमरे की तरफ बढ़ा पर वहा भी कोई नही था। में अचंभित हो गया।और एक बार डरते हुवे आवाज लगाया पर कोई जवाब नही। अब दर से पसीना –पसीना हो गया। वापस सोफे पे आकर बैठ गया। उसके बाद मुझे अजीबो गरीब डरवाने आवाज सुनाई देने लगा।जैसे कोई मरने की बात करता, कोई कहता कौन हैं ये, कोई कहता कैसे अंदर आया ये।पर दिखता कोई नही अब तो मेरा शक असलियत में बदल चुका था।मेरा गला भी सूखने लगा।इस स्तिथि में मैं वहा करीब एक घंटे फंसा रहा।मैं वहा से निकलना  चाहता पर डर के कारण निकल नही पता था। मैने उनका कुछ नुकसान नहीं किया था शायद इसलिए वो भी मेरा नुकसान नहीं करना चाहती थी। उसके बाद मैने किसी भी तरह हिम्मत जुटा कर वहा से निकाला और कार ले भागा तब तक रात के तीन बज चुका था।बाद में मैं उस जगह के बारे में पता किया तो पता चला की पहले वहा मुजरा हुआ करता था पर एक दिन वहा के जमींदार से मुजारेवाली का अनबन हो गया था जिसके कारण जमींदार ने एक रात सब को मरवा दिया था।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.